।******* उझानी बदांयू 26 अक्टूबर। गौशाला रोड स्थित धनवती देवी बालिका आवासीय इंटर कालेज में चल रही रामकथा के छठे दिन स्वामी शांतनु जी महाराज ने रघुवंश की माताओं का चरित्र सुनाते हुऐ कहा मां कौशल्या सुमित्रा मां जानकी एवं उर्मिला के चरित्र को आदर्श चरित्र बताते हुए कहां यह देश यह धर्म संस्कृति यदि सुरक्षित है इन्हीं माताओं और बहनों के कारण जिन्होंने अपने पुत्रों को अपने भाइयों को अपने बेटों को तिलक लगाकर धर्म की रक्षा के लिए भेज दिया । महाराज जी ने कहा जब भगवान राम मां जानकी लक्ष्मण जी के साथ लिए निकले पूरी अयोध्या मां कैकेई को धिक्कार देते हुए साथ चल पड़ी । यही तो अयोध्या वासियों का भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण है गुह और भगवान के मिलन ने रामराज का आधार बताया जहां पर बड़े और छोटे में कोई भेद नहीं रामचरितमानस के सबसे रस भरे प्रसंग केवट प्रसंग को सुनाते हुए महाराज जी ने कहा यदि परमात्मा से मिलन करना हो एकदम सरल सहज और भोले हो जाइए भोले भक्ति को परमात्मा बहुत पसंद करता है। केवट भगवान से चरण धुलवा कर पार उतारने की बात करता है यही तो भक्त और भगवान के बीच का संबंध है केवट भगवान से अनेक तर्क करता है कि प्रभु मैं आपसे रोना इसलिए रोपा रहा हूं क्योंकि आप दयालु भक्तों के रुदन बर्दाश्त नहीं कर पाते इसलिए महाराज श्री ने बताया रूदन ही वह भक्ति मार्ग की साधना है जो भगवत मिलन करा देती है। केवट की नाव से भगवान ने गंगा पार की और केवट को उतराई देना चाहा लेकिन केवट ने मना कर दिया कि मैं बचने से विमुख नहीं हो सकता और भेज देना ही चाहते हो लौट कर जब आओगे तब दे देना। जो दोगे हम ले लेंग केवल भगवान को गंगा पार करता है बहुत देना चाहते हैं लेकिन केवट ने कुछ नहीं लिया और जो भगवान से कभी नहीं लेता भगवान उसके ऋणी हो जाते हैं।———————-+ राजेश वार्ष्णेय एमके।