—— बदायूं 26 अक्टूबर। नैनो डीएपी की बाध्यता केवल सहकारी समितियों में ही नहीं है, बाजार में निजी खाद के दुकानदार भी बिना नैनो के खाद की बोरी नहीं दे रहे हैं।
किसान डीएपी खाद के लिए धक्के खा रहे हैं। डीएपी खाद न तो सहकारी समितियों में मिल रही है, न ही निजी दुकानों में। दोनों ही जगहों पर नैनो डीएपी लेने पर ही दानेदार डीएपी की बोरी दी जा रही है। लेकिन, किसानों को नैनो डीएपी पसंद ही नहीं है। यही वजह है कि खाद का संकट बढ़ गया है। जानकार बताते हैं कि नैनो डीएपी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। यदि किसान इसे खरीद लें तो खाद का संकट खत्म हो जाए। किसानों का कहना है कि उन्हें जबरन नैनो डीएपी खाद दी जा रही है, जोकि उनके मतलब की नहीं है।
अधिकतर किसानों को इसका उपयोग करना ही नहीं आता है। गांव फतेहपुर निवासी किसान रमेश कहते हैं कि किसान फसल के लिए किसी तरह का जुआ खेलना पसंद नहीं करता है। वह पूछते हैं कि यदि बुआई के समय नैनो डीएपी का प्रयोग किया और फसल खराब हो गई तो? इसकी भरपाई कौन करेगा? वहीं, जिला कृषि अधिकारी कहते हैं कि नैनो डीएपी और यूरिया मानक के अनुसार उपयोग करने से किसान कम खर्च में अच्छी उपज ले सकते हैं।
इसके लिए गांव-गांव हो रहे डेमो देखने के बाद किसान बुआई करें और अच्छी पैदावार लें। जाहिर है कि मामला नैनो डीएपी के चक्कर में फंस गया है।
जाहिर है कि यदि किसान नैनो डीएपी ले लें तो उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाद मिल जाएगी। सूत्र बताते हैं कि नैनो डीएपी और यूरिया की वजह से ही खाद का संकट बना हुआ है। किसान नैनो खाद लेना नहीं चाहते, जबकि कंपनियां नैनो खाद हर हाल में बेचना चाहती हैं।
नैनो डीएपी खाद के चक्कर में संकट कैसे गहराता जा रहा है।
बाजार में महंगी खाद
बदायूं जिले में बाजार में 1360 रुपये वाली डीएपी खाद 1600 रुपये में मिल रही है। इसके साथ नैनो डीएपी और नैनो पोटेशियम बैग लेने की शर्त भी है। किसान कहते हैं कि निजी दुकानों पर 1360 रुपये की खाद 2300 में खरीदनी पड़ रही है। इस वजह से किसान कर्जदार हो रहा है।———————–
नैनो डीएपी का ऐसे करें प्रयोग
इफ्को के अधिकारी बताते हैं कि 50 किलो गेहूं के बीज में एक लीटर पानी, 250 ग्राम नैनो डीएपी मिलाकर शोधित करना है। इसके बाद बीज को आधा घंटे छाया में सुखाने के बाद किसान अपने मानक से आधी डीएपी यानी साढ़े 12 किलो के साथ शोधित बीज की बुआई करें। इससे गेहूं की फसल का मजबूत अंकुरण होगा। पहले पानी के बाद दानेदार यूरिया का छिड़काव करें। दूसरी और तीसरी बार सिर्फ नैनो यूरिया का छिड़काव करने से लागत में कमी आने के साथ अच्छा उत्पाद होगा। अभी तक प्रचार-प्रसार की कमी के कारण किसान नैनो डीएपी और यूरिया पर विश्वास नहीं कर रहा है। इसके लिए गांव-गांव में डेमो कराने की तैयारी है।
अधिकारी का दावा: नैनो खाद सस्ती, उपयोगी भी
इफ्को के अधिकारी कहते हैं कि नैनो खाद किसानों के लिए फायदेमंद है। दानेदार खाद की अपेक्षा किसान नैनो खाद से करीब 50 प्रतिशत उर्वरक की बचत कर सकते हैं। इससे किसानों की उत्पादन लागत कम होगी।
———————-सौम्य सोनी।