पिंडौल में नारद मोह की लीला से शुरु हुआ लीला का मंचन
बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव पिंडौल में श्रीराम लीला का शुभांरभ नारद मोह की लीला के साथ हुआ। नारद जी द्वारा कामदेव को अपनी तपस्या से जीत कर वह सीधे भगवान विष्णु के पास क्षीर सागर में पहुंच कर भगवान विष्णु से कहा कि मैनें कामदेव और कालदेव को जीत लिया है भगवान विष्णु द्वारा महसूस हुआ कि नारद जी को अभिमान हो गया है तब उन्होंने नारद जी के अभियान को दूर करने के लिए उन्होंने अपनी माया से श्रीनिधि नगर को बसाया और वहां के राजा श्रीनिधि हुए और उनकी बेटी विश्व मोहनी नाम की कन्या होई राजा शील निधि ने अपनी बेटी का हाथ दिखाया और कहा इसकी भाग्य रेखा देखो नारद जी विश्व मोहनी की भाग्य रेखा देखते ही नारद जी उसे देखकर मोहित हो जाते हैं तब नारद जी भगवान विष्णु के पास उनका रूप मांगने के लिए जाते हैं। भगवान विष्णु अपना वानर का रूप दे देते हैं तब नारद जी श्री निधि नगर मे पहुंच जाते हैं और वहाँ भगवान विष्णु भी उसी स्वयंवर में आ जाते हैं तब विश्व मोहनी भगवान विष्णु के गले में जयमाला डाल देती हैं। तब जय विजय नाम के गण नारद जी को दर्पण दिखलाते हुए उनके खिल्ली उड़ाते हैं और तब अपना वानर का रूप देखकर नारद जी क्रोधित हो जाते हैं क्षीर सागर में पहुंचकर भगवान विष्णु और माया विश्व मोहनी को देखकर भगवान विष्णु को श्राप देते हैं कि जिस प्रकार से मैं विश्व मोहिनी के वियोग मे तड़प रहा हूं उसी प्रकार से तुम भी अपनी पत्नी के वियोग में वन वन तड़पोगे और गणो को श्राप देते हैं तुम जाओ मृत्यु लोक में राक्षस बन जाओ तब भगवान विष्णु नारद जी के श्राप को सर धारण कर तथास्तु ऐसा ही होगा नारद जी तब भगवान विष्णु अपनी माया को समेट लेते हैं तब नारद जी को ज्ञान प्राप्त होता है कि मैंनै यह क्या किया यह तो सब प्रभु की लीला थी और भगवान विष्णु के चरणों में नारद गिर पड़ते हैं कि मुझे क्षमा करना भगवान मैं आपकी लीला को जान नहीं पाया। भगवान विष्णु कहते हैं नारद तुम्हारी कोई गलती नहीं है हे नारद तुम्हें थोड़ा सा अभियान हो गया था मैं अपने भक्तों के अभिमान को दूर करने के लिए ऐसी ही लीलाओ को रचता हूं और भगवान विष्णु कहते हैं कि आप अपने धाम को जाओ नारद जी तभी पर्दा गिर जाता है। इससे पहले यहां एमएलसी वागीश पाठक ने फीता काटकर रामलीला का उद्घाटन किया। इस मौके पर मेला कमेटी के सभी पदाधिकारी मौजूद रहे।