सभी के अंदर श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह मित्रता होनी चाहिए
गुर्रा खेड़ा बालाजी मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा हुई संपन्न
बिल्सी। क्षेत्र के गांव सुंदरनदर-बेहटाजवी में गुर्रा खेड़ा श्री बालाजी महाराज के मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा अंतिम दिन कथावाचक परम श्रद्धे नित्यानंद महाराज ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने दिन कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। इस दश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। यहां बच्चों ने सुदामा और कृष्ण की झांकी भी पेश की। इस मौके पर खेतलराम पाल, डॉ.डोरीलाल बघेल, श्यामवती बघेल, ओमपाल बघेल, हरपाल बघेल, पीडी सिंह, गोरे राठौर, विनीत कुमार, छोटे ठाकुर, सुखवीर सिंह, रामगोपाल, ओम बघेल, कैलाश चंद्र, वीरेंद्र पाल, उदयपाल सिंह, नेत्रपाल, सुनील कुमार, पप्पू शाक्य आदि मौजूद रहे।