।******उझानी बदांयू 8 अक्टूबर।
उझानी में जिन जिमों में हजारों रुपये माह की फीस देकर लोग शरीर को सुडौल बना रहे हैं, वह अवैध रूप से संचालित हो रही हैं। गली-मोहल्लों में जिम खुली हैं। इनमें से अधिकांश के पास क्षेत्रीय क्रीड़ा कार्यालय की अनुमति नहीं है। अब तक यहां केवल दो जिम के पंजीकरण की जानकारी है, जबकि 20 से ज्यादा जिम संचालित हो रही हैं। इन अवैध जिमों में ट्रेनर की योग्यता को लेकर भी संदेह रहता है। इनकी थोड़ी सी चूक जान पर बन सकती है। पर, यह पूरा खेल, विभाग और जिम संचालकों की सांठगांठ से चल रहा है।
बताते हैं कि नगर में दो जिम पर लाईसेंस है बाकी अवैध चल रही हैं। इसका खामियाजा सरकारी कोष पर पड़ रहा है। जिम संचालन के लिए हर साल 15 हजार रुपये की फीस के साथ अनुमति पत्र जारी होता है।
यह 15 हजार रुपये जिला खेल प्रोत्साहन समिति के खाते में जमा कराने होते हैं। इन पैसों से खेल के क्षेत्र में सरकारी सुविधाओं से बढ़ावा दिया जाता है। आरोप लग रहा है कि इस पैसे को जिम संचालक और विभाग मिलकर डकार रहे हैं। अधिकारी निरीक्षण करने नहीं निकलते। पुलिस का सहयोग न मिलने और जनता से शिकायत न मिलने की दुहाई दे दी जाती है।
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बताते हैं कि जिम ट्रेनर होने के लिए राष्ट्रीय खिलाड़ी या प्रोफेशनल डिग्री यानी फिटनेस संबंधी विषयों में ग्रेजुएशन या डिप्लोमा होनी चाहिए। इसके अलावा बीपीएड और एमपीएड डिग्री धारक भी जिम ट्रेनर, कोच बन सकते हैं। इनको जिम में मशीनों, शारीरिक क्रियाओं की जानकारी होती है, जिससे यह लोगों को सुरक्षित तरीकों से कसरत करना सिखाते हैं।—————————
हादसे का कौन जिम्मेदार
सवाल यह भी खड़ा होता है कि अगर इन जिम में कोई हादसा हो जाता है, तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा। इसके अलावा जिम संचालकों की ओर से मोटी कमाई के लालच में प्रशिक्षुओं को सप्लीमेंट पाउडर दिए जाते हैं। इनके विषय में जानकारी रखने के लिए वहां कोई न्यूट्रिशन नहीं होता है। इन सप्लीमेंट के कई घातक परिणाम सामने आ चुके हैं।
—————————- — राजेश वार्ष्णेय एमके।