।***————————-* घर से बने प्रसाद से भगवान होते हैं प्रसन्न, जानें क्या कहते हैं मंदिरों के महंत।———————– उझानी बदांयू 1 अक्टूबर।
तिरुपति बालाजी मंदिर की घटना के बाद प्रसाद को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। मंदिरों के महंत और पुजारी घर पर बने प्रसाद को प्रमुखता देने लगे हैं, उनका कहना है कि इससे भगवान प्रसन्न होते हैं। पंचमेवा, फल, मिश्री और इलायची दाना का प्रसाद सात्विक माना गया है। उसमें कोई मिलावट नहीं की जा सकती है। साथ ही मंदिरों के बाहर लगने वाली दुकानों के प्रसाद की जांच समय-समय पर प्रशासन से कराने की मांग की गई है। नगर के श्रृद्धालुओं ने भी भगवान को लगने वाले प्रसाद का धीरे धीरे ट्रेंड बदलना शुरू कर दिया है।
भगवान को खुश करने के लिए श्रद्धालु छप्पन भोग का आयोजन कराते हैं। इसमें रंग-बिरंगी मिठाइयां होती हैं, रंग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। पुरानी अनाज मंडी शिव मंदिर के महंत दिनेश चंद्र पाठक ने बताया कि मंदिरों में भगवान् को बाहरी प्रसाद और पैसे का चढ़ावा नहीं होना चाहिए। इलायची दाने से अच्छा कोई प्रसाद नहीं होता है। घर पर कभी भी अच्छा भोजन बनाएं तो उसे भगवान को चढ़ा सकते हैं।
वही आचार्य प्रवीण शर्मा का कहना है कि मिश्री,फल पंचमेवा सबसे शुद्ध मानी जाती है, उसी का प्रसाद भगवान को लगाना चाहिए। मंदिरों के बाहर की दुकानों पर बिकने वाले प्रसाद की प्रशासन को हर सप्ताह जांच करानी चाहिए।——————————–+ राजेश वार्ष्णेय एमके।