सर्वपितृ अमावस्या 02 अक्टूबर को ही—– आचार्य राजेश कुमार शर्मा
श्राद्ध पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति और उनकी श्रद्धांजलि अर्पित करने का महत्व है। इस दौरान लोग अपने पितरों का तर्पण और श्राद्ध अनुष्ठान करते हैं।
पितृ पक्ष पूर्णिमा से अमावस्या तक चलती है।
यह परंपरा भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
पितृ पक्ष का शुभारंभ 17 सितंबर 2024 (मंगलवार) से हो गया था। वहीं, समापन 2 अक्टूबर को पितृमोक्ष अमावस्या के साथ होगा। इस दौरान 16 तिथियां पड़ती है, जिसमें जातक अपने दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते हैं।
पितर पक्ष का महीना सनातन धर्म में महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि पूर्वजों का श्राद्ध करने पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष भी दूर होता है। श्राद्ध के अंतिम तिथि को सर्वपितृ अमावस्या होती है, जिन लोगों को पूर्वजों की देहांत तिथि पता नहीं है इस दिन श्राद्ध कर्म करते हैं।
पितर विसर्जन अमावस्या
इस वर्ष पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर (बुधवार) को है। अश्विन माह की अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर को रात 9:39 पर शुरू होगी। इसका समापन 02 अक्टूबर को रात 12:18 पर होगा। सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
मुहूर्त
कुतुप मुहूर्त प्रातः 11:46 से दोपहर 12:32 तक रहेगा। रोहिणी मुहूर्त दोपहर 12:33 से 1:20 तक। वहीं, अपराह्र काल दोपहर 1:20 से 3:42 तक है।
आचार्य राजेश कुमार शर्मा