विश्व हृदय दिवस
बदायूं 29 सितंबर।
हृदय रोग वैश्विक स्तर पर गंभीर स्वास्थ्य समस्या के रूप में जाने जाते हैं, जिसके कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। विशेषज्ञों ने बताया कि लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण ये दिक्कत काफी बढ़ गई है, जिसके चलते कम उम्र के लोगों को भी इसका शिकार पाया जा रहा है। इतना ही नहीं काम करते करते, बैठे-बैठे और जिम कसरत करते वक्त लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो रही है। ये निश्चित ही गंभीर चिंता का विषय है।
डॉक्टर कहते हैं गड़बड़ दिनचर्या और खान-पान की दिक्कतों ने हृदय रोग के जोखिमों को बहुत बढ़ा दिया है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। हृदय रोग की बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने व इसकी रोकथाम को लेकर लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है।
हृदय रोग के जोखिमों के लिए डॉक्टर्स की टीम ने बढ़ती स्ट्रेस (तनाव) की समस्या का जिम्मेदार पाया है।
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पीके गोयल ने कहा, हृदय रोगों के लिए धूम्रपान या शराब के सेवन, व्यायाम की कमी जैसे कारकों को जिम्मेदार माना जाता रहा है, हालांकि तनाव के कारण इसके खतरे पर अक्सर लोगों का ध्यान नहीं जाता है। अनियमित जीवनशैली और बढ़ते तनाव के कारण विदेशों की तुलना में भारत में हृदय रोगों का खतरा काफी अधिक देखा जा रहा है।
जीवनशैली में बदलाव, पौष्टिक खान-पान और बढ़ते तनाव के स्तर को नियंत्रित रखने वाले उपाय करके आप इस खतरनाक रोग से बचाव कर सकते हैं।
स्ट्रेस किस प्रकार से हृदय रोगों का कारण बनती है, इसे समझाने के लिए बताया कि जब हम अक्सर या बहुत अधिक तनाव में रहते हैं तो इसकी प्रतिक्रिया में शरीर कोर्टिसोल नामक हार्मोन रिलीज करता है। अगर आप क्रोनिक स्ट्रेस से परेशान हैं या अक्सर चिंतित रहते हैं तो कोर्टिसोल का स्तर बढ़ा हुआ रह सकता है।
इसके दुष्प्रभावों के कारण रक्तचाप के साथ-साथ रक्त शर्करा, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा भी बढ़ने लग जाती है। इन सभी को हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार पाया गया है।
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मामूली तनाव भी हो सकता है ख़तरनाक
आईएमए के जिलाध्यक्ष डाॅ संजीव गुप्ता बताते हैं कि मामूली तनाव भी हृदय की समस्याओं को जन्म दे सकता है। तनाव की स्थिति में हृदय की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह बाधित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसमें हृदय को पर्याप्त रक्त और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। इसके अलावा लंबे समय तक तनाव बने रहना रक्त के थक्के बनने के तरीके को भी प्रभावित कर सकता है। इससे रक्त चिपचिपा हो जाता है और हार्ट अटैक-स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा, तनाव और हृदय रोग दोनों के खतरे को कम करने के लिए व्यायाम की आदत बनाना सबसे फायदेमंद माना जाता है। हृदय स्वास्थ्य के लिए, प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाले व्यायाम का लक्ष्य रखें। व्यायाम वजन को नियंत्रित करने, कोलेस्ट्रॉल में सुधार करने और रक्तचाप को कम करने में मदद करता है जिससे हृदय स्वास्थ्य को ठीक रखा जा सकता है। इसके साथ व्यायाम से स्ट्रेस भी कंट्रोल रहता है जिसके कारण हार्ट की समस्या को बढ़ते हुए देखा जा रहा है।
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राजेश वार्ष्णेय एमके