उझानी बदांयू 28 सितंबर।
यूपी की आलू बेल्ट में शामिल बदायूं, फर्रूखाबाद में कोल्ड स्टोर से किसान भी आलू की निकासी नई फसल के लेट होने की वजह से नहीं कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि
इस बार पुराने आलू का स्वाद नया आलू उस तरह से नहीं बिगाड़ सकेगा। इसकी वजह नए आलू की फसल का बारिश की वजह से लेट आना होगा। दरअसल नया आलू सबसे पहले हिमाचल और पंजाब से आता है। दिवाली तक आलू की किस्म मार्केट में छा जाती है। लेकिन इस बार बरसात के चलते व आलू बीज तेज होने की वजह से फसल तो कम मानी ही जा रही है बीस से पच्चीस दिन लेट भी होगी। वहीं आलू बेल्ट बदायूं, आगरा, हाथरस , फर्रूखाबाद में भी अगैती आलू किस्म पिछड़ रही है। बरसात के चलते बुआई रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है।
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आलू बेल्ट में दो तरह से आलू की खेती होती है। एक तो कच्ची खोद (पकने से पहले आलू की खुदाई कर लेना)। यह नवंबर-दिसंबर में आ जाता है। दूसरा पक्की खोद (आलू पूरा साइज का हो जाता है और कोल्ड स्टोर में रखा जाता है) फरवरी में आता है। उझानी के गांव नरऊ निवासी सुनील सोलंकी का कहना है कि खेत तैयार कर लिया गया है। अगर मौसम ने साथ दिया तो जल्द बुआई कर देंगे वरना लेट हो जाएगा। बुर्रा फरीदपुर के किसान यशपाल यादव का कहना है कि इस बार पुराना आलू खूब चलेगा। उसकी वजह बाजार में नए आलू का लेट आना रहेगा।
किसान भी आलू की निकासी नहीं कर रहे हैं। जबकि कोल्ड स्टोर स्वामी आलू निकासी के लिए किसानों को मैसेज भेज रहे हैं। किसानों को उम्मीद है कि पुराने आलू का भी इस बार अच्छा भाव रहेगा। बदांयू जिले में आलू की बुआई अक्तूबर के पहले सप्ताह से शुरू होती है। लेकिन इस बार तो बरसात के कारण खेत अभी तक तैयार ही नहीं हो पा रहे हैं। कुछ जिलों में जहां आलू की अगैती फसल होती है वहां 25 सितंबर से बुआई शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार मौसम की मार के चलते कुछ किसान आलू की खेती करेंगे भी नहीं। इन हालातों में नए आलू की फसल कमजोर ही रहेगी।
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हिमाचल और पंजाब में भी लेट होगी फसल
आमतौर पर नया आलू हिमाचल के ऊना और पंजाब से ही आता है। लेकिन इस बार वहां भी बरसात के कारण आलू की फसल प्रभावित हो रही है। अगैती आलू की फसल की बुआई नहीं हो पा रही है। इसलिए नया आलू कम ही आएगा। वमनौसी के आलू उत्पादक किसान सत्यवीर सिंह यादव का कहना है कि इस बार पुराना आलू मार्केट में छाया रहेगा। हर बार जब नया आलू आता था तो पुराने के रेट तेजी के साथ गिर जाते थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।——————————– राजेश वार्ष्णेय एमके