बदायूं रोड स्थित फ्यूचर लीडर्स स्कूल के नन्हें मुन्ने बच्चों ने आज प्रकृति के बीच शहर की और जाना कि बीज कैसे पौधा बनता है और पौधा कैसे धीरे-धीरे पेड़ बनता है और फिर हमें फल, फूल,छांव के अलावा जीवन जीने के लिए ऑक्सीजन भी देते हैं। बच्चों ने पेड़ पौधों की पत्तियां, फूलों ,फलों को छूकर उन्हें महसूस किया और उनकी महत्ता को जाना बच्चों में पौधों को और फूलों को जानने की उत्सुकता दिखी। विद्यालय के डायरेक्टर वी पी सिंह ने कहा कि शोधों से यह विदित है कि प्रकृति के साथ जुड़ने में समय बिताने के बाद बच्चों की भलाई में वृद्धि हुई। बच्चों में चिड़चिड़ापन काम हुआ ।
बच्चों में सीखने की क्षमता में वृद्धि हुई और सबसे बड़ी बात शोध दर्शाता है कि प्रकृति के साथ समय बिताने से बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर हुआ ।
एमडी राहुल कुमार सिंह ने कहा कि बच्चों को बचपन से ही पेड़ पौधों से प्यार करना सीखना चाहिए ताकि बड़े होकर एक जिम्मेदार इंसान बने। प्रधानाचार्य रविन्द्र सिंह ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि आज के आधुनिक युग में मोबाइल और सोशल मीडिया की वजह से बच्चे प्रकृति से एक-एक दिन दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में बच्चों को प्रकृति के करीब कैसे ला सकते हैं, ताकि वे भी इसकी अहमियत को समझें कि ऐसा क्या करें कि हम अपने बच्चों में प्रकृति से प्रेम करने के बीज बो सकें ।
बच्चों को पार्क या वॉक पर लेके जाएं ।
सुबह या शाम किसी भी समय बच्चे को किसी पार्क में लेकर वॉक पर जाएं जहां वो तरह-तरह के पेड़ पौधे, आसमान, चिड़िया, सूरज आदि देखें और उत्सुकता में सवाल करें। सूरज उगता या ढलता देखें, चिड़ियों को चहचहाते सुनें, अन्य बच्चों को मिट्टी और घास में खेलते देखें। पार्क में न भी जा सकें तो बच्चे को छत पर या बालकनी में लेकर बैठें और प्रकृति का अनुभव कराएं। ऐसा करने से वे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ होंगे। बच्चों को प्रकृति से जोड़ने में और विभिन्न पेड़ पौधों की पत्तियों के विषय में विस्तार से बताने के लिए एकेडमिक हेड सी के शर्मा,प्री प्राइमरी को ऑर्डिनेटर राखी गुप्ता, डिसिप्लिन इन चार्ज ब्रजेश सिंह सीनियर को ऑर्डिनेटर परमेन्द्र सिंह प्राइमरी को ऑर्डिनेटर केशव शर्मा , अंजली सिंह, नाहिद सैफी, तान्या वार्ष्णेय,अंशु वार्ष्णेय, रंजना, पूनम पाल निशा आदि का सहयोग रहा।