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साइबर क्राइम पर रोक लगाने को शासन का नया फार्मूला -ऑनलाइन एफआईआर में मोबाइल नंबर के पांच अंक होंगें गोपनीय

उझानी बदांयू 20 सितंबर।
लोगों को साइबर ठगी की होने बाली घटनाओं से बचाने के लिए पुलिस विभाग ने एक नई पहल शुरू की है। अब साइबर ठग यूपी कॉप एप से एफआईआर डाउनलोड करके पीड़ित, या आरोपियों को अपना शिकार नहीं बना सकेंगे। इसके लिए पुलिस ने एफआईआर में पीड़ित,के मोबाइल नंबर के केवल शुरु के पांच अंक दिखाई देंगे, बाद के पांच अंकों को गोपनीय (अदृश्य) रखा जा रहा है। पुलिस विभाग ने यह कदम इसलिए उठाया है कि साइबर ठग पुलिस अधिकारी या विवेचक बनकर पीड़ितों से ही कार्रवाई करने के नाम पर रुपयों की मांग करते थे।
आम लोगों की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग ने यूपी कॉप के नाम से एक मोबाइल एप्लीकेशन लांच किया है। इस एप में कई तरह की सुविधाएं दी गईं हैं। इस एप्लीकेशन एप के माध्यम से कोई भी किसी भी जिले के किसी थाने में दर्ज एफआईआर की जानकारी ले सकता है। एफआईआर को डाउनलोड भी कर सकता है। एफआईआर देखने और और डाउनलोड करने की यही सुविधा अब फ्राड का जरिया बन गई थी। साइबर फ्रॉड करने वाले अपराधी यूपी कॉप के जरिए एफआईआर की डिटेल देखने के बाद , पीड़ित को फोन करके उनके ऊपर ही कार्रवाई करने की धमकी देते थे, केस को और मजबूत बनाने का लालच देते थे। उसके बाद उनसे अपने अकाउंट में रुपये ट्रांसफर कराने के लिए कहते थे। ऐसा इसलिए हो पाता था कि एफआईआर में पीड़ित का मोबाइल नंबर होता है। वहीं जिसके खिलाफ एफआईआर कराई गई है उसकी डिटेल तो होती ही है। उसका मोबाइल नंबर पीड़ित से लेकर पुलिस अधिकारी, विवेचक बनकर पीड़ित और नामजद आरोपियाें को फोन करके रुपये की मांग करते हैं। कोई ना कोई उनका शिकार बन जाता है।

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नाम न छापने की शर्त पर एक थाने के कंप्यूटर ऑपरेटर ने बताया कि तहरीर को एफआईआर में बदलते समय हम लोग पीड़ित का मोबाइल नंबर भी दर्ज कर रहे थे, लेकिन यूपी कॉप एप पर अपलोड होने के बाद एफआईआर में पीड़ित के मोबाइल नंबर के बाद के पांच अंक गायब हो जाते हैं। जबकि, थाने से पीड़ित को दी जाने वाली एफआईआर में पूरे दस अंक होते हैं। शायद यूपी कॉप एप को शासन स्तर से अपडेट किया गया है।
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यूपी कॉप से एफआईआर डाउनलोड करने के बाद साईबर ठग उसमें से पीड़ित का नंबर लेकर विवेचक बनकर रूपयो की मांग करते थे, ऐसी विभाग को शिकायते मिल रही थी,एफआईआर में पीड़ितों का पूरा नंबर दर्ज करना बंद हो गया है। एफआईआर में केवल शुरू के पांच अंक दिखाई देंगे, बाद के पांच अंकों को शासन स्तर से गोपनीय रखा जा रहा है। ऐसा केवल यूपी कॉप एप पर अपलोड होने वाली एफआईआर में होगा।- डाॅ ब्रजेश कुमार सिंह, एसएसपी बदायूं।
—————– राजेश वार्ष्णेय एमके