6:28 pm Friday , 31 January 2025
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पितृपक्ष – श्रृद्धालुओं ने कछला गंगा में डुबकी लगा, पितरों को किया जल अर्पण सुबह से कछला गंगा घाट पर लगी भीड़।

उझानी बदांयू 18 सितंबर। पुरखों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए एक पखवाड़े तक चलने वाला पितृपक्ष बुधवार से शुरू हो गया। पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगाघाट पर पहुंचकर सपरिवार गंगा स्नान कर तर्पण किया। व अपने अपने पितरों को जल अर्पण कर सुख समृद्धि की कामना की । कल भी कम संख्या में लोगों ने कछला गंगा घाट पर जलदान करके पितरों का तर्पण किया था।
एक दिन पूर्व ही कछला गंगा घाट पर श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया। बुधवार को लोगों ने विधिविधान से श्राद्ध पूजा आयोजित की।कछला गंगा घाट पर विद्वान आचार्यों ने वैदिक रीति रिवाज से सामूहिक जलदान तर्पण कर्मकांड व श्राद्ध कर्म संपन्न कराया। पुरोहितों ने बरेली, बदायूं, कासगंज ,हाथरस,पीलीभीत,राजस्थान मध्यप्रदेश, दिल्ली आदि प्रांतों से आने वाले श्रद्धालुओं से पिंडदान व तर्पण कराया। श्रद्धालुओं ने गंगा की परिक्रमा लगाते हुए अपने परिवार की खुशहाली की कामना भी की। हिंदू धर्म में श्राद्ध पर्व पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का एक जरिया है। यह हमारी अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। यह मात्र कर्मकांड नहीं है। गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि कृतज्ञता व्यक्त करने से विश्वास व श्रद्धा हमें उत्साह व आनंद देती है। हम संकटों से मुक्त होकर नई ऊर्जा से काम करने लगते हैं। श्राद्ध इसी ऊर्जा को पाने का पर्व है।
ज्योतिषाचार्य प्रवीन शर्मा ने बताया कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वजों की आत्मा हमारे निवास स्थल पर आती है। श्रद्धा से उनका अन्न, प्रसाद या तर्पण से स्वागत करना, उन्हें परम तृप्ति देना उनके प्रति अपनी श्रद्धा है। वह हमें आशीर्वाद में उन्नति, वैभव-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ‌जिससे परिवार में शांति और भाईचारे की समरसता बनी रहती है ‌। ****************** राजेश वार्ष्णेय एमके