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सहसवान (बदायूं) सहसवान ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का इंतजार मुस्लिम वर्ग बड़ी ही शिद्दत से करते है क्योंकि ये दिन पैगम्बर मुहम्मद साहब के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इस दिन की प्रतीक्षा ना केवल भारत में होती है बल्कि इस दिवस का इंतजार इस्लामिक देशों में भी विशेष तौर पर किया जाता है।
इस दिन मोहम्मद साहब का जन्म 8 जून, 570 ई.को मक्का में हुआ था। इस दिन लोग पैगम्बर साहब के उपदेशों को याद करते हैं। माना जाता है कि इस दिन जो भी उनके बताए गए रास्तों पर अमल करता है वो खुदा के और करीब हो जाता है, कुछ देशों में इस पर्व को ‘ईद मिलाप’ भी कहते हैं।
दरअसल ईद-ए-मिलाद-उन-नबी इस्लामी पंचांग के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है, आपको बता दें कि मिलाद या मौलिद का अर्थ अरबी में “जन्म” से है, ये दिन शिया और सुन्नी संप्रदाय अलग-अलग तरह से मनाते हैं।
सहसवान के लगभग दर्जन भर मोहोल्ले से एक-एक डीजे के साथ नारे तकदीर नारो के साथ लोग चलकर बिसौली बस स्टैंड पर एकत्रित होकर काजी मोहल्ला कोठी कोठी से वापसी मीरा साहाब पठान टोला में बाजार चौराहा बाजार विल्सन गंज कोतवाली से होकर वापस शहबाजपुर जामा मस्जिद पर जाकर समापन हुआ । इस बीच जुलूस निकलवाने में सहसवान पुलिस का भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा ।
/रवि चौहान