बिल्सी, तहसील क्षेत्र के यज्ञ तीर्थ ग्राम गुधनी में स्थित प्रज्ञा यज्ञ मंदिर में आर्य समाज का साप्ताहिक सत्संग आयोजित किया गया ! सबसे पहले संध्या की गई फिर यज्ञ किया गया ! पश्चात सत्संग हुआ ! सुप्रसिद्ध समाज सुधारक आचार्य संजीव रूप ने कहा *परमात्मा दो बातों से नाराज होता है पहली बात भगवान से अपनी जरूरत की चीजें मांगना, दूसरा उसे फूल फल रूपए पैसे सोना चांदी या भोग पदार्थ चढ़ाना ! और वह इसलिए क्योंकि परमात्मा ने हम सबको मनुष्यों को शरीर देने से पहले हमारी जरूरत की सब चीजों को बनाकर रख दिया है ! हमारी मूलभूत आवश्यकताएं जैसे हवा ‘पानी ‘ सूरज की रोशनी औषधियाँ, वनस्पतियां आदि मुफ्त में निरंतर दे रखी है ! शेष भौतिक वस्तुओं के लिए हमें पुरुषार्थ करना ही होगा ! जो व्यक्ति भगवान से ऐसी वस्तुओं के लिए प्रार्थना करता है वह ना तो भगवान की व्यवस्था पर विश्वास रखता है और ना ही पुरुषार्थ करता है ! दूसरा फूल फल मेवा मिष्ठान सोना चांदी वस्त्र आदि मनुष्यों की जरूरत का सामान है ! परमात्मा तो निराकार है उसकी उपासना तो हृदय में मन में होती है ! उपासना में उससे केवल आत्मिक उन्नति ही मांगनी चाहिए ! अपनी बुराइयां छोड़ने की प्रार्थना भी भगवान सहर्ष स्वीकार करते हैं ! कुमारी तृप्ति शास्त्री नेभी भजन गाते हुए बताया..
आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन
मन की तरंगे मार लो बस हो गया भजन !
भक्ति का मतलब ही होता है ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाना !
इस अवसर परपंजाब सिंह, श्रीमती कमलेश रानी श्रीमती मिथिलेश रानी, देवी,श्रीमती संतोष कुमारी, मुन्नी देवी ‘ , नीरेश आर्य , कुमारी मोना रानी, कुमारी कौशिकी , कुमारी तानिया रानी आदि मौजूद रहे !
