भारत के माथे पर बिन्दी के समान हिन्दी,
आओ मिलजुल इस भाल को सजाते हैं।
बिल्सी। आज उत्तर प्रदेश हिंदी प्रचार समिति के तत्वावधान में हिंदी दिवस के अवसर पर एक काव्य गोष्ठी नारायन ग्रीन हाउस में आयोजित की गई। जिसमें जिले के कवियों ने हिस्सा लिया। यहां सर्वप्रथम ज्ञान की देवी मां सरस्वती के चित्र के समक्ष पुष्प समर्पित कर गोष्ठी का शुभारंभ संस्था के अध्यक्ष विष्णु असावा द्वारा किया गया। इसके बाद कवियों ने अपनी रचनाओं को पढ़ा। असावा जी ने पढ़ा।
भारत के माथे पर बिन्दी के समान हिन्दी,
आओ मिलजुल इस भाल को सजाते हैं।
प्रचार-प्रसार द्वारा हिन्दी का बढ़ायें मान,
जन-जन मन बीच चेतना जगाते हैं।
बदायूं के कवि षटवदन शंखधार ने पढ़ा।
सूर, तुलसी, कबीर, बिहारी की है
यह फकीरी की है राजदारी की है
एक हिन्दी ही तो अपनी है दोस्तों
बाकी हर एक भाषा उधारी की है
युवा कवि हर्षवर्धन मिश्रा ने सुनाया।
जनमानस की आन हुई है हिंदी से,
भारत की पहचान हुई है हिंदी से।
यूँ तो हर भाषा का आँचल मिला हमें
पर माटी ये धनवान हुई है हिंदी से
नगर निवासी प्रशान्त जैन ने सुनाया।
हिंदी में कविता पढ़ता हूं उर्दू में नही।
भारत माता का लाल हूं विदेशियों का नही।
परोली निवासी अशोक दिवेदी ने सुनाया।
सम्माननीय हर भाषा, हिन्द की प्राण है हिन्दी।
जग में न कोई भाषा, जो भाल पर लगाती हो बिन्दी।।
साहित्यकार एवं कवि आकाश पाठक ने पढ़ा।
साहित्य मेरा पेड़, मैं उसका पत्ता।
ना चाहूं पावर और ना चाहूं सत्ता।
हिंदी हो राष्ट्रभाषा यही मैं चाहता हूं,
चाहे उम्र भर भी मिले नहीं भत्ता।
बदायूं से आए प्रभाकर सक्सेना ने सुनाया।
मान बढ़ाती है,देश का जग में वो।
राष्ट्र की भाषा बने,हक रखती।।
धन्य कि जन्मा,वह देश है भारत।
न्यारी-मधुर बोली है,जिसकी हिंदी।।
इसके अलावा कवि अचिन मासूम, ओजस्वी जौहरी, अमित अम्बर, ललतेश कुमार ललित ने भी अपनी रचनाओं को सुनाया। इस मौके पर गिरीश चंद्र शर्मा, हरिओम शर्मा, रामेश्वर सिंह, अनुज शर्मा, रामवीर सिंह आदि मौजूद रहे।