भगवान राम के स्मरण से दूर हो जाते हैं सारे दुःख
बिल्सी। नगर के कछला रोड स्थित श्री माहेश्वरी भवन में चल रही श्रीराम कथा के चौथे दिन कथावाचक अयोध्यादास रामायणी ने भगवान राम का भावपूर्वक स्मरण करने से जीव के दु:ख दूर हो जाते हैं। यहां कथावाचक श्रीराम कथा में अहिल्या उद्धार और जनकपुर पुष्प वाटिका के भ्रमण की कथा को श्रद्धालुओं को श्रवण करा रहे थे। ऋषि विश्वामित्र के मुख से धनुष यज्ञ की चर्चा सुनकर भगवान श्रीराम मुनिवर के साथ चल दिए। उन्होंने रास्ते में एक आश्रम देखा। जहां जीव जंतु नहीं थे। प्रभु श्रीराम ने एक पत्थर की शिला देखी। ऋषि विश्वामित्र ने ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या के पत्थर होने की कथा प्रभु राम को सुनाई। गौतम ऋषि के श्राप से अहिल्या पत्थर की हो गई थीं। रामायणी ने कहा कि यह पत्थर की शिला प्रभु श्रीराम के चरण रज का स्पर्श चाहती है। प्रभु के पावन चरण रज से उसके शोक नष्ट हो गए। अहिल्या नारी के रूप में प्रकट हो गईं। अहिल्या बार-बार प्रभु के चरण पड़ती हैं और आनंद से भरकर परलोक चली जाती है। संत रामायणी ने कहा कि दशरथ ज्ञान तथा सीता भक्ति है, जहां भक्ति होती है वहीं भगवान निवास करते हैं। इस मौके पर गजरौला से आए अशोक कुमार राय, विनोद तिवारी, एसपी सिंह, नरेंद्र गरल, लोकेश वार्ष्णेय, सत्यपाल गुप्ता, दिनेश बाबू वाष्र्णेय, शिव ओम, दुर्गेश बाबू, आशीष वशिष्ठ, संजीव कुमार, मनोज कुमार आदि मौजूद रहे।