बदायू की बात – सुशील धींगडा के साथ
एक समय वह था जब सरकार भाजपा विरोधी राजनेतिक दलों की होती थी और बदायूं के सासद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, नगर पालिका एवं नगर पंचायत चेयरमैन एवं सदस्य एवं तमाम सहकारी समितियां पर भाजपा का कब्जा होता था और उस समय जब सांसद और विधायकों से आम आदमी कोई उम्मीद करता था तो उनका जवाब यही होता था कि सरकार हमारी नहीं है, इसलिए काम कराने में बहुत दिक्कत आ रही है लेकिन अब तो दस वर्ष से सरकार भी भाजपा की है और बदायूं, दातागंज और बिल्सी के विधायक भाजपा के हैं, सारे ब्लाक प्रमुख भाजपा के हैं, जिला पंचायत पर भाजपा का कब्जा है लेकिन इतना सब कुछ होते हुए सत्ताधारी की लाचारी आम आदमी की समझ में नहीं आ रही है जिसके चलते आम आदमी के दिमाग में एक बात घर कर रही है कि जब कुछ करा नहीं पाते तो तिजोरियां कैसे भर रही हैं क्या तिजोरी भरने का रास्ता आम आदमी को अपनी मजबूरी गिनाने मिला हुआ तो नहीं है।