12:11 pm Friday , 31 January 2025
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शिक्षा वो नेत्र है जिससे हम प्रकृति से परे का देख पाते हैंः रूप*

बिल्सी, तहसील क्षेत्र के यज्ञ तीर्थ गुधनी में स्थित यज्ञ आर्य समाज गुधनी द्वारा संचालित निःशुल्क आर्य संस्कार शाला गुरुकुल में शिक्षक दिवस मनाया गया । इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय वैदिक विद्वान आचार्य संजीव रूप ने कहा ” शिक्षा वह नेत्र है जिससे हम वह देखते हैं जो सूर्य के प्रकाश से भी परे होता है । शिक्षा हमें मानव बनाती है । शिक्षा ही है जो हमें संस्कारी सदाचारी संयमी सेवा भावी और राष्ट्रभक्त बनाती है । शिक्षा के बिना मनुष्य पशु के समान होता है । और इस महत्व कार्य में शिक्षक का योगदान सर्वोपरि है इसीलिए शिक्षक को जगत नियंता परमात्मा से भी प्रथम पूज्य माना गया है । आचार्य रूप ने कहा किंतु शिक्षक के अपने विशेष मानदंड होते हैं एक शिक्षक को शिक्षक बनने के लिए केवल डिग्री नहीं अपितु उन सद्गुणों से भरपूर होना चाहिए जो एक माता पिता और गुरु में होते हैं । शिक्षक को कुम्भकार की तरह होना चाहिए जैसे कुंभकार घड़े को बनाकर पकाने से पहले अंदर हाथ डालकर ऊपर से ठोकता है इस प्रकार शिक्षक हृदय से विद्यार्थी के प्रति स्नेह रखता हुआ बाहर से कठोर रहे और बालक की ताड़ना करता रहे किंतु इसके लिए आवश्यक है की माता-पिता भी अपने बालक को शिक्षक के लिए पूर्णतः समर्पित करें । कुमारी तृप्ति शास्त्रीने कहा “हम इस बात को ना भूले कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते हैं क्योंकि बच्चे ही राष्ट्र का भविष्य होते हैं जिनका निर्माण शिक्षक करते हैं । इस अवसर पर बच्चों को उपहार भी दिए गए । कार्यक्रम में सत्यम आर्य ‘ किशन पाल आर्य ‘ सुखवीर सिंह ‘ ,राकेश आर्य, साहब सिंह, प्रश्रय .आर्य आदि मौजूद रहे ।