पुलिस ने आढ़तिया पिता पुत्र को पकड़ कर थाने में बेहरहमी से पीटकर पिता को जेल भेजा और पुत्र को थाने से छोड़े गये प्रकरण में,पीड़ित ने कराया मेडिकल, उच्चाधिकारियों से शिकायत कर कार्यवाही की मांग की,जांच शुरू,व्यापारियों में आक्रोश, एसओ व सिपाहियों को कार्यवाही कर हटाने की मांग
उसावां-बदायूं। आत्महत्य को हत्या में बदलने के प्रकरण में गलत खुलासे और गल्ला व्यापारी के पुत्र से मारपीट के मामले में दस दिन बाद भी थाना पुलिस के खिलाफ कार्यवाही न होने से क्षेत्रीय व्यापारियों में तीव्र रोष है। यदि विभागीय उच्चाधिकारियों ने दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही नहीं की तो व्यापारी कभी भी थाना पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं। उधर थानाध्यक्ष लगातार पीड़ित व्यापारी पर शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बना रहा है। जिससे पीड़ित व्यापारी मानसिक रूप से काफी परेशान है। विभागीय उच्चाधिकारियों के थानाध्यक्ष पर मेहरबानी परक व्यवहार से पीड़ित को न्याय मिलने में देरी हो ही रही है। साथ ही लोगों का पुलिस तंत्र की निष्पक्षता में भी भरोसा कमजोर हो रहा है।
आपको बता दे कि उसावां थाना क्षेत्र के गौतरा पट्टी भौनी में हुई गला दबाकर हत्या के खुलासे में थाना पुलिस की मुश्किलें बढ़ना शुरू हो गई हैं। इस मामले में थाना पुलिस को दो तरफा विरोध का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ वादी पक्ष घटनाक्रम के अनावरण से असंतुष्ट है। वहीं दूसरी तरफ जेल भेजे गए हत्यारोपित गल्ला आढ़तिया संजय सिंह के बेटे ने पुलिस पर कस्टडी के दौरान पिटाई करने,चालीस हजार रुपए छीनने और घटनाक्रम का जबरन कुबूलनामा कराने के आरोप लगाए हैं। मंगलवार को सौरभ ने एसएसपी डॉ ब्रजेश कुमार सिंह के समक्ष अपने बयान नोट कराए हैं,बयानों में पुलिस द्वारा पकड़कर बेहरमी से मारपीट व चालीस हजार रुपये व मोटरसाइकिल छीनने का आरोप लगाये हैं। अगर आढ़तिया सौरभ सिंह द्वारा लगाए गए आरोप सही पाए गए तो थानाध्यक्ष मानबहादुर सिंह और तीन सिपाहियों पर कार्यवाही तय है।
गत 22 अप्रैल को यहां के सतीश शर्मा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उसका शव उसी के घर में फांसी के फंदे पर लटका मिला था। पुलिस द्वारा कराए गए पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक सतीश की मौत गला दबाने से हुई थी। उक्त घटनाक्रम को लेकर पुलिस की भूमिका लगातार सुस्त और संदिग्ध रही। पहले तो पुलिस ने तत्काल प्राथमिकी दर्ज नहीं की और आर्थिक समझौता कर दो महीने बाद जून में इसे दर्ज भी किया तो खुलासे पर सवाल उठ रहे हैं। और तो छोड़ दीजिए इस मुकदमे की वादी एवं मृतक सतीश की पत्नी चंदा शर्मा ही खुद ही खुलासे पर सवाल खड़े कर रही है। उसने एसएसपी को शपथ पत्र देकर आछू सिंह पुत्र धनपाल सिंह ,गंगाचरण पुत्र रमेश सिंह व जेल भेजे गए संजय सिंह को निर्दोष बताया है और गांव के नरेन्द्र सिंह,हेमू पुत्र नत्थू सिंह उनके लड़को व पुलिस पर कार्यबाई की मांग अपनी बाइट में कहीं है उधर संजय सिंह के पुत्र सौरभ ने भी पुलिस द्वारा की गई पिटाई का मेडिकल कराया है। उसने अपने बयानों में थानाध्यक्ष और तीन सिपाहियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मंगलवार को सौरभ ने पुलिस एसएसपी ऑफिस जाकर अपने लिखित बयान दर्ज कराए और एसएसपी से दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की गुजारिश की। देखना यह होगा कि थानाध्यक्ष द्वारा किया गया घटनाक्रम का खुलासा सही है या फिर सौरभ और चंद्रा शर्मा के आरोप। मसलन घटनाक्रम के पंजीयन से लेकर खुलासे तक पुलिस की सुस्त एवं लचर कार्य प्रणाली साफ नजर आ रही है।इस घटना से व्यापारियों में आक्रोश है, अगर एसएसपी ने जल्दी एसओ मान बहादुर सिंह व सिपाही दीपक कुमार, सुन्दर सिंह व अज्ञात को हटाया नहीं गया तो कही व्यापारी सड़को पर न आ जाये। वहीं दूसरी ओर पीड़ित ने एसएसपी,आईजी, एडीजी मुख्यमंत्री, डीजीपी को शिकायती पत्र देकर उच्चाधिकारियों ने न्याय की गुहार लगाई है अब देखना यह कि दस दिन बीत जानें के बाद भी आखिर क्या मजबूरी है एसएसपी ,एसओ उसावां व पुलिस कर्मियों को नहीं हटा रहे हैं और कब जाकर पीड़ित को न्याय मिल सकेगा।