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जन्माष्टमी कल, बाल गोपाल को सजाने-संवारने को खरीदी रंग-बिरंगी पोशाक

जन्माष्टमी कल, बाल गोपाल को सजाने-संवारने को खरीदी रंग-बिरंगी पोशाक।

उझानी बदांयू 25 अगस्त।
जन्माष्टमी का त्योहार सोमवार को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी पर मटकी फोड़ प्रतियोगिता और अन्य सार्वजनिक आयोजन होंगे। लोग घरों में खुशी से नंदोत्सव मनाएंगे। नगर के मंदिरों में भी भगवान श्रीकृष्ण के शृंगार के लिए तैयारियां की जा रही है। जन्माष्टमी को लेकर बाजार गुलजार है। बाजारों में कन्हैया की चांदी की पोशाक, सिंहासन, पालने और उनके स्वरूपों की भरमार है। लोग तैयारी में जुटे है, मंदिरों की साफ-सफाई के कार्य चल रहे हैं।
नगर के साथ ही जिले में सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाएगी। इसके लिए खरीदारी को दिनभर बाजार में भीड़ रही। महिलाएं बाल-गोपाल के रूप को निखारने के लिए एक से बढ़कर एक पोशाक पसंद करती नजर आईं। लाल, नीली, सुनहरी और चमकदार पोशाक खूब पसंद की गईं। मुकुट, बांसुरी, फूलों और मोतियों की मालाएं, लटकन खरीदी गईं। पालनों की भी खूब मांग रही। बाजार में चांदी के लड्डू गोपाल और पालने की बिक्री भी हो रही है।

सर्राफ संजय मित्तल ने बताया कि चांदी के लड्डू गोपाल, बांसुरी और मुकुट 1700 रुपये और पालना छह हजार रुपये तक में उपलब्ध है। मंदिरों की साफ सफाई से लेकर रंग-पुताई तक के कार्य को अंतिम रूप दिया जा रहा है। चारों ओर हर्षोल्लास का माहौल है। कृष्ण आगमन पर घरों में पूजन के लिए बाजारों में रौनक दिखाईं दे रही है। बाजारों में जमकर श्रीराधा-कृष्ण की ड्रेस और बांसुरी की बिक्री हुई। कृष्ण का रूप उनके आभूषणों के बिना अधूरा है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण कानों के कुंडल और कमर करधनी है, जो 300 रुपये तक की कीमत में खूब बिका। गले में लंबे हार और मोतियों वाले बाजूबंद भी बाल गोपाल के आकर्षक का केंद्र रहे। कन्हैया के जन्म से पहले भक्तों ने श्रीकृष्ण की नई पोशाक में वृंदावन की पगड़ी और राजकोट का विशेष झूला और बांसुरी और रेशम का गद्दा, तकिया, मोरपंख, मुकुट, मोतियों की माला की जमकर खरीदारी हो रही है।
जन्माष्टमी का त्योहार मुख्य रूप से सोमवार को मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को पैदा हुए थे। उनके जन्म के समय आधी रात थी, चंद्रमा उदय हो रहा था और उस समय रोहिणी नक्षत्र भी था। इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। घरों में परिवार के सदस्य ब्रत रखते हैं, फल खीर, कुट्टू के आटे से पकवान तैयार किए जाते हैं। 12 बजे आरती कर भोग लगाकर प्रसाद के रूप में बने पकवानों का आनंद लेते हैं।

राजेश वार्ष्णेय एमके