।*******—***— *कांवड यात्रा का बदायूं एक्सप्रेस का एक्स-रे , राजेश वार्ष्णेय की कलम से********।*
उझानी बदांयू 12 अगस्त। आसमान में घिरे बादल, रिमझिम बरसती फुहारें, रंग-बिरंगी सजी कांवड़ें, गंगाजल भरे हुए कलश को लेकर चलते कांवड़िए, भोलेनाथ की झांकियों को खींचते श्रद्धालु, डीजे पर बजते भजन, भंडारों में नृत्य करते शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण के स्वरूप, वातावरण में घुली पकवानों की महक, कांवड़ियों की सेवा करते भंडारों में सेवादार कुछ ऐसे ही भव्य नजारे रविवार को बरेली मथुरा हाईवे पर देखने को मिले। मोक्षदायिनी के गंगा तट पर सुबह तड़के से शुरू हुआ कांवड़ियों का सैलाब देर रात तक जारी रहा। कांवड़ियों का सैलाब इतना कि हाईवे पर जाम के चलते पुलिस को रुट डायवर्ट में भी रूटडायवर्जन करना पडा। ओर रात 10 बजे के बाद उझानी से मुजरिया होकर कांवड़ियों को 15 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तक तय करना पडा। सावन के चौथे सोमवार को भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए सड़कों पर भगवा रंग का जन सैलाब उमड़ पड़ा। भोले बाबा के जयकारों से शहर गूंज रहा था। चारों तरफ सिर्फ ओर सिर्फ भोले के भक्तों की टोलियां नजर आ रही थीं।
बदायूं से कछला गंगा घाट तक हाईवे पर सुबह से रविवार रात भर पैर रखने तक के लिए जगह नहीं मिली। जिधर भी नजर जा रही थी, भोले के भक्तों का सैलाब दिखाई दे रहा था। कदम-कदम पर लगे शिविरों में प्रसाद ग्रहण करने के लिए भक्तों का हुजूम एकत्र हो गया। डीजे पर भोलेनाथ के भजन बजते रहे और झांकियां मन मोह रही थीं। शिव-पार्वती के स्वरूपों ने जमकर नृत्य किया। खड़ेश्वरी कांवड़ के साथ डाक कावड़ और बैकुंठी कांवड़ की धूम रही। भोले बाबा की बारात में युवा ही नहीं, बल्कि बच्चे, बुजुर्ग, महिलाओं और दिव्यांग व्यक्तियों का उत्साह भी देखने लायक था। श्रद्धालुओं के उल्लास की स्थिति यह थी कि राहगीरों को पुल से घाट तक पहुंचने में ही दो से तीन घंटे का समय लग रहा था।
चौथे सोमवार को कछला से गंगाजल लाकर भोलेबाबा का जलाभिषेक करने का चलन है। इसके लिए शुक्रवार से शनिवार सुबह तक शहर देहात के गांव व प्रत्येक कालोनी से कांवड़ियों का जत्था निकला था। परिवार की महिलाओं ने रोली-तिलक लगाकर उन्हें विदा किया। शनिवार रात से ही उनका लौटना शुरू हो गया था। रविवार सुबह से ही हाईवे पर देर रात तक लाइन लगी रही। डीजे पर बजते भजन उनके उत्साह को दोगुना कर रहे थे। इसमें मौसम ने भी उनका पूरा सहयोग किया।
इसकी वजह से उनके कदमों में थकान नहीं थी। हर दस से 15 मीटर की दूरी पर एक भोले का बेड़ा था। प्रत्येक बेड़े में 50 से 60 सदस्यों का जत्था था। कंधे पर कांवड़, पैरों में घुंघरू और तन पर भगवा वस्त्र पहने भक्त भोले की भक्ति में झूमते हुए अपने गंतव्य को गए। कांवड़ियों के नंगे पैरों में कंकड़-पत्थर चुभ रहे हैं, लेकिन शिवशंकर की धुन में वह यह दर्द भी हंसते-हंसते सहकर आगे बढ़ रहे हैं।
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सावन मास के चौथे सोमवार को कांवड़ियों ने मंदिरों में भगवान शंकर का जलाभिषेक किया। कछला से गगरी में जल भरकर लाए कांवड़ियों ने गंगाजल और पंच द्रव्यों से गंगाधर का अभिषेक किया। वहीं रविवार को दिन भर कांवड़ियों के जत्थों के पहुंचने का क्रम जारी रहा। पूरा शहर भगवा रंग में रंगा दिखाई दिया। भोले के जयकारों से वातावरण शिवमय हो गया था।
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कावंड़ के अलावा श्रद्धालुओं ने वाहनों पर भी एक से एक सुंदर झांकियां सजाई थीं। ठेले और बुग्गी, ट्रेक्टर पर रुई के माध्यम से आकर्षक शिवलिंग बनाए गए थे। इसको उन्होंने फूल, बिजली की झालर, गुब्बारे आदि से सजाया था। भोले के भक्तों ने खुद ही नंदी बनकर झांकी को खींचा। ***********
तिरंगे से दिया देशभक्ति का संदेश ।
भक्तिभाव में डूबे श्रद्धालु कांवड़ यात्रा में देशभक्ति का संदेश भी दे रहे हैं। उनकी कांवड़ से लेकर ट्रैक्टर, बाइक, साइकिल और ट्रक पर सजे बेड़े में तिरंगा लगाकर चल रहे हैं। छोटे से बड़े तिरंगा की वजह से माहौल देशभक्ति का बन रहा था।
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मन मोह रहीं झांकियां
कछला घाट से लेकर बदायूं,बिनावर तक शिविरों की धूम रही। यहां पर भोले के भक्तों के लिए नाश्ता, भोजन की पूरी व्यवस्था थी। बीमार होने पर भोले के भक्तों के लिए उपचार का प्रबंध किया गया था। इसके अलावा शिव परिवार और मातारानी की झांकियां मन मोह रही थीं। भजनों पर भोलेनाथ, माता पार्वती, मां काली, राधा-कृष्ण के स्वरूप नृत्य कर रहे थीं। बेड़े में बच्चे भी भगवान के स्वरूप में मन मोह रहे थे।
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जीरो प्वाइंट हाईवे पर किया स्वागत
कछला भागीरथी घाट से गंगाजल लेकर झूमते और थिरकते हुए कांवड़िये जीरो प्वाइंट हाईवे पर पहुंचे। यहां पर उनके स्वागत के लिए भंडारे लगाए शिवभक्तों ने स्वागत किया इसके बाद उन्होंने कांवड़ को खुद उठा लिया और बेड़े के साथ भोले के भजनों पर थिरकते हुए मंदिर तक पहुंचने को पग बढा दिऐ। *******/////***
कांवड यात्रा में सेल्फी और वीडियो का रहा क्रेज।
झांकियों को देखने के लिए क्षेत्रवासियों का सुबह से ही आगमन शुरू हो गया था। फिल्मी गानों की धुन पर बज रहे भजनों से वातावरण भक्तिमय हो रहा था। इसके बाद भगवान के स्वरूपों के नृत्य को देखने के लिए श्रद्धालुओं के कदम ठहर गए। वाहनों को रोककर उन्होंने सेल्फी और वीडियो बनाई। इसके पास ही बारी-बारी से भगवान के स्वरूप नृत्य कर रहे थे। पुलिस प्रशासन की व्यवस्था के बावजूद हाईवे पर यातायात ठहर सा गया था।