बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ
शहर में बदहाल सफाई, टूटी सडकों और जलभराव से परेशान होकर नागरिकों में श्रीमती दीपमाला गोयल के प्रति रोष था यह एक कटु सत्य है और कोई माने या ना माने श्रीमती गोयल की कार्यप्रणाली से नाराज शहर के मतदाताओं ले नगर पालिका चुनाव में परिवर्तन का मन बनाकर श्रीमती फात्मा रजा को चेयरमैन बनाया था लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बावजूद शहर की सफाई, जलभराव और गंदगी से मुक्ति दिलाने में वह भी अपना कोई रंग नहीं दिखा सकी। उनके कार्य की बात करें तो मात्र यह परिवर्तन हुआ कि जो पालिका कर्मी सेवानिवृत हुए उनको फंड का पैसा सेवानिवृति के दिन मिल गया जबकि इस दौरान शहर में लगभग एक दर्जन शीतल प्याउ पालिका चेयरमैन द्वारा बनवाए गए लेकिन किसी भी शीतल प्याउ से गिरने वाले पाली का कोई निकास नहीं बनाया गया जो नागरिकों को एक नया सिरदर्द दे रहा है। आम आदमी की समझ में यह बात नहीं आ रही है कि जब पालिका के पास शीतल प्याउ बनवाने को धन उपलब्ध है तो शहर की सडकोें पर छोटी -मोटी मरम्मत के लिए धन क्यों नहीं है, शहर के स्टेशन रोड की तोता मार्केट में और गांधी मैदान के शिव मंदिर से लावेला चौक की ओर जाने वाले मार्ग पर आए दिन होने वाले जलभराव से मुक्ति दिलाने को पैसा क्यों नहीं है।