।******/////**** ।******** उझानी बदांयू 11 अगस्त।
उत्तर प्रदेश सरकार हर घर की छत पर सौर पैनल लगाने के लक्ष्य को फोकस कर रही हे। इसी क्रम में सरकार की तरफ से तीस हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा । इसके लिए उन्हें सर्टिफिकेट भी प्रदान किया जाएगा। यह सर्टिफिकेट युवाओं को रोजगार दिलाने में भी सहायक होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के हर घर की छत पर सौर पैनल लगाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 30000 युवाओं को ‘सूर्य मित्र’ के रूप में प्रशिक्षित करने की योजना बना रही है। केंद्र सरकार की तरफ से पिछले साल फरवरी में प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना की शुरुआत की गई थी। जिसका लक्ष्य देश भर में एक करोड़ घरों पर सौर पैनल लगाना है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में अब तक 25 लाख से अधिक सौर पैनल लगाए हैं।
उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (यूपीएनईडीए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि उत्तर प्रदेश में हर घर में सौर पैनल लगाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सौर ऊर्जा क्षेत्र में कुशल श्रमिकों की महत्वपूर्ण आवश्यकता होगी।
अधिकारी ने बताया कि इसके लिए राज्य एजेंसी ने जिला केंद्रों और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में 30,000 ‘सूर्य मित्र’ को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा है।
अधिकारी ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश में 3000 से अधिक युवाओं ने सौर परियोजनाओं के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है। प्रशिक्षण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य के हर घर में सौर पैनल लगाने के सपने को तेजी से हासिल करने के लिए एक प्रयास किया जा रहा है।
तीन महीने के ‘सूर्य मित्र’ कार्यक्रम में 600 घंटे का व्यापक प्रशिक्षण शामिल है। जिसमें क्लास निर्देश, व्यावहारिक प्रयोगशाला कार्य सौर फोटोवोल्टिक प्रौद्योगिकी संयंत्रों का प्रदर्शन, नौकरी पर प्रशिक्षण सॉफ्ट स्किल और उद्यमिता विकास शामिल है।
यूपीनेडा के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 18 लाख से अधिक घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए पंजीकरण पूरा हो चुका है। इसके अलावा लगभग दो लाख अतिरिक्त घरों के लिए आवेदन जमा किए गए हैं।
सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने “नेट बिलिंग/नेट मीटरिंग” प्रणाली शुरू की है। इसके अलावा यूपीनेडा ने उत्तर प्रदेश में 10 लाख घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए टाटा समूह के साथ साझेदारी की है, जिसकी पहल हाल ही में वाराणसी से शुरू हुई है। राजेश वार्ष्णेय एमके