1:31 pm Friday , 31 January 2025
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घर आजा परदेसी राशन कार्ड बुलाए रे– सत्यापन के लिए घर लौट रहे परदेसी

पंजाब,लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, हरियाणा, बेंगलुरु आदि शहरों में रहकर रोजगार करने वाले परदेसी सावन के महीने में घर लौट रहे हैं। इसकी बड़ी वजह राशन कार्ड से नाम कटने का डर है। कहा गया है कि यदि संबंधित की ई-केवाईसी नहीं हुई तो राशन नहीं दिया जाएगा।

सरकार व पूर्ति विभाग की ओर से राशन कार्ड व उसमें दर्ज सभी यूनिट का सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। जिसमें बायोमैट्रिक तरीके से लाभार्थियों की ई-केवाईसी की जा रही है। पूर्ति विभाग का कहना है कि बहुत से लोग जिले से विस्थापित हो कर दूसरे शहरों में रहने लगे हैं।
उन्हें अब राशन की जरूरत नहीं रह गई है। बड़ी संख्या में लोग मृतक भी हो गए हैं। जिनका नाम अभी तक नहीं कटवाया गया है। राशन कार्ड सत्यापन के जरिये विस्थापित व मृतक लोगों के नाम अपने आप बाहर हो जाएंगे।

जिला पूर्ति अधिकारी रमन मिश्रा ने बताया कि विस्थापित लोगों को ही अलग करने के लिए सत्यापन का अभियान चलाया गया है। जानकारी मिल रही है कि विस्थापित परदेशी घर आकर ई-केवाईसी भी पूरी कर दे रहे हैं। फिर भी ऐसे ही लोग लौट रहे हैं, जो कि पूरी तरह से विस्थापित नहीं हुए हैं। जिनका घर से अभी तक जुड़ाव बना हुआ है। ई-केवाईसी के बाद बड़ी संख्या में यूनिट अलग भी हो जाएगी।

प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज
राशन कार्ड में दर्ज प्रत्येक यूनिट के लिए प्रति माह पांच किलो अनाज का वितरण किया जाता है। जिसमें तीन किलो चावल व दो किलोग्राम गेहूं शामिल है। अंत्योदय परिवार को प्रति माह प्रति कार्ड एक किलो चीनी तीन महीने में दी जाती है। तीन महीने का जोड़कर प्रति कार्ड तीन किलो चीनी का वितरण किया जाता है।

कहीं भी कर सकते हैं ई केवाईसी
जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया कि किसी कार्य से बाहर गए लोग उत्तर प्रदेश में कहीं भी ई-केवाईसी कर सकते हैं। दिल्ली में मौजूद व्यक्ति गाजियाबाद के किसी राशन कोटेदार की दुकान पर पहुंचकर ई-केवाईसी का कार्य करा सकता है। राशन कार्ड का पूरा विवरण होना आवश्यक है। उत्तराखंड में मौजूद व्यक्ति रामपुर या बदायूं , बरेली मुरादाबाद में भी अपनी सुविधा के अनुसार ई केवाईसी करा सकता है।

राजेश वार्ष्णेय एमके।