क्या तोड़ देंगी हवायें बादलों का होसला मुमकिन नही है होना दोनो का फैसला!!
अकील अहमद खान की रिपोर्ट
न दिन को चैन मिलता है,न रात को सुकून ऐ गर्मी तूने बदल दिया सबका मजमून (सब्जेक्ट) पहले ही गर्मी की मार झेल रही जनता को बारिश,और बिजली का शिकार होना पड़ रहा है। खाना कब है सोना कब है जागने का समय क्या है सब भूल गये हैं सारा सिस्टम ही बदल गया है काफी वक्त से हालात ज्यों के त्यों बने हुए हैं फिलहाल मे कहीं से उम्मीद की कोई किरण नजर नही आती ।जनता मे चारों और त्राहि त्राहि मची है,वाकी
निजामे कुदरत।