उझानी बदायूं 4 अगस्त सावन के सोमवार को शिवभक्त गंगाघाटों से कांवड़ लाकर चढ़ाते हैं। समय के साथ-साथ श्रद्धा के तौर-तरीकों में भी बदलाव देखने को मिला है। इस वर्ष परंपरागत कांवड़ को पीछे छोड़ अब डाक कांवड़ बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। खासतौर से इसे लेकर युवा वर्ग में जबरदस्त उत्साह है। शहर से लेकर गांव-कस्बों में भी इसकी धूम मची हुई है।
आस्था में भी दिन ब दिन बदलाव देखने को मिलने लगा है। इस बार कांवड़ यात्रा में विशेष पहचान रखने वाली डाक कांवड़ यात्रियों की संख्या खासी बढ़ी है। पुरुषों के साथ-साथ अब महिलाएं, किशोरियों और बच्चे भी कांवड़ ला रहे हैं। श्रद्धालुओं में बाबा के दरबार में डाक कांवड़ चढ़ाने को लेकर उत्साह है। उनका कहना है कि डाक कांवड़ से समय की अच्छी खासी बचत होती है। इस यात्रा के एक दल में करीब 15 से 20 भक्त होते हैं।
अधिकांश भक्त कछला गंगा घाट से जल भरते हैं। इसके बाद भक्त एक-एक कर दौड़ लगाकर मंजिल की ओर रवाना होते हैं। एक शिवभक्त के हिस्से में करीब तीन से चार किमी की दौड़ आती है। दौड़ते समय जल को एक साथी दूसरे को सौंपता है। इस दौरान ध्यान रखा जाता है कि वह खंडित न हो। इस बीच दल के अन्य कांवड़िया सदस्य वाहनों पर डीजे या मोटरसाइकिल के जरिए आगे बढ़ते रहते हैं।
*बोले कांवड़िया*
दूसरी बार डाक कांवड़ लाए हैं। यात्रा में लगातार दौड़ना बहुत कठिन है। लेकिन हमारी आस्था उत्साह कम नहीं होने देती। – राजकुमार, पूरनपुर।
डाक कांवड़ को तय समय में ही पूरा करना होता है। उसी के हिसाब से तैयारी करनी पड़ती है। हाल के वर्षों में इनकी संख्या बढ़ी है। – मनोज कुमार, फरीदपुर।*************** राजेश वार्ष्णेय एमके