4:34 am Friday , 31 January 2025
BREAKING NEWS

उझानी मेडीकल स्टोर पर नारकोटिक्स व टीबी दवाओं की किल्लत, मरीज परेशान

।******उझानी बदायूं 2 अगस्त।
बाजार में जानलेवा टीबी व नारकोटिक्स दवाओं की किल्लत मरीजों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। नारकोटिक्स की कोडिन, ट्रोमाडॉल, एल्प्राजॉलम, क्लोनाजेपम, डायजापाम, डाइफेनोक्यलेट, नाइट्रेजेपाम, इटिजॉलम, पेंटाजॉसिन, ब्रुफेनहाइन व क्लोराइडजेपोक्साइड जैसी दवाएं काफी मुश्किल से मरीजों को मिल पा रही हैं। वही टीबी की रिफाॅम्पसिन,इथम्बूटौल,पाईराजिनामिड जेसी दवाऐं गायब है । इसके पीछे प्रमुख कारण है, इन दवाओं को बेचने में सरकार के सख्त नियम , व कागज़ी खानापूर्ति इसलिए फुटकर व थोक दवा कारोबारियों की इसमें रुचि नहीं दिखाई देती।

भारत सरकार की तरफ से इन दवाओं के गलत उपयोग को रोकने के लिए लागू की गई सख्ती पेरशानी का कारण बनी हुई है। नारकोटिक्स की दवाएं अधिकतर नींद न आने, दर्द व अन्य मानसिक समस्याओं के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। मगर कई लोग इन दवाओं का उपयोग नशे के रूप में करने लगे हैं। जिसे देखते हुए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) व ड्रग विभाग ने दवाओं की खरीद-फरोख्त के नियमों को सख्ती से लागू कर दिया है।

ऐसे में दवा के थोक कारोबारियों को हर हफ्ते इन दवाओं की बिक्री की सारी जानकारी देनी होती है। इसमें टैक्स इन्वाइस बिल, ट्रांसपोर्ट की पर्ची, फर्म के नाम से ऑनलाइन पेमेंट की रसीद, जीएसटी बिल व फुटकर दवा व्यापारियों को दवा खरीदने वाले मरीज की आईडी या फिर डॉक्टर के पर्चे की फोटोकॉपी देनी होती है।

इसके अलावा यह पर्चा चार माह से अधिक पुराना मान्य नहीं होगा। वहीं, कई फुटकर दवाएं जीएसटी के दायरे में नहीं आतीं। इन नियमों का पालन न करने वाले कारोबारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया गया है। इसके बाद से थोक दवा व्यापारी इन दवाओं को खरीदने से पीछे हटने लगे हैं। इसकी वजह से 70 फीसदी टीबी व नारकोटिक्स दवाएं बाजार से गायब हो गई हैं।
********सरकारी अस्पतालों में टीबी ( क्षयरोग) की दवाओं की बहुत समय से किल्लत है, ना जाने कितने मरीजों के दवा के अभाव में कोर्स अधूरे हैं। अस्पतालों में दवा है नहीं बाजार से गायब है, अगर मरीज को टीबी की दवाऐ बाजार में मिलती भी है तो वह ज्यादा रेट पर मिलती है, ज्यादातर दवा की दुकानों पर कागज़ी झंझट की वजह से है नहीं।‌*******
सरकार ने दवाओं के दुरुपयोग को देखते हुए, जो कदम उठाया है, वह बिलकुल सही है। मगर दवा कारोबारियों को सख्ती से थोड़ी राहत दी जानी चाहिए, ताकि व्यापार प्रभावित न हो।

– अभदेश गोयल। अध्यक्ष, केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन उझानी ********

जिस प्रकार से टीबी व नारकोटिक्स दवाओं की खरीद पर सख्त नियम बनाए गए हैं, उससे दवा व्यापारी काफी डरे-सहमे हैं। सरकार सख्ती के साथ दवा कारोबारियों को थोड़ी राहत भी दे।

राजीव गोयल प्रोपराइटर – राजीव मेडिकल स्टोर
————————————

सरकार की सख्ती सही है, टीबी जानलेवा बीमारी है, सरकार को चाहिए कि जिन मेडिकल स्टोर पर फार्मेसिस्ट है, वह मरीज के पर्चे पर एक बार में दो से तीन दिन की दवा दे सके। सरकार अस्पतालों में इन दवाओं की आपूर्ति सुचारू कर नहीं पाती। अगर बाजार में ऐसी व्यवस्था है तो किसी टीबी मरीज का कोर्स अधूरा नहीं रहेगा। डाॅ मोहित अग्रवाल, प्रोपराइटर – अशोक मेडिकल स्टोर उझानी।****** राजेश वार्ष्णेय एमके।