आज भागवत कथा के छठे दिन कथा वाचक परम श्रद्धेय भागवत भास्कर आचार्य पंडित श्री मुमुक्षु कृष्ण शास्त्री जी द्वारा श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन कर रहे हैं।
कान्हा की मुरली ऐसी बजती थी कि गोपिया अपनी सुध-बुध भी गवां बैठती थी ।अर्थात भगवान श्रीकृष्ण में ऐसा आध्यात्मिक शक्ति थी कि हर भटकते मन को सुकून मिलता था। यही भगवद प्रेम का उदाहरण है । हर कोई कृष्ण में समाहित हो जाता था और अपने आप को स्वयं श्री कृष्ण का आभास करने लगता था । सच्चे मन से निष्काम प्रेम से वशीभूत होकर ही भगवान अपने भक्त के लिए अपनी लीलाओं के माध्यम से जीवन का संदेश देते हैं ।