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हाथरस कांड के बाद बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और पुलिस बल की तैनाती के लिए डीजीपी प्रशांत कुमार ने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। इसके मुताबिक अब कार्यक्रम में खतरे का आकलन करने के बाद ही आयोजन की अनुमति दी जाएगी। वरिष्ठ अधिकारियों को खुद कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण करना होगा। सुरक्षा प्राप्त तथा विशिष्ट अतिथियों के आवागमन का मार्ग आम जनमानस के मार्ग से अलग रखा जाएगा। राजपत्रित अधिकारी व स्थानीय मजिस्ट्रेट को प्रभारी नियुक्त किया जाएगा।
दरअसल राजनीतिक पार्टियों तथा आध्यात्मिक कार्यक्रमों में भारी भीड़ उमड़ती है। भारी भीड़ होने से भीड़ अथवा भगदड़ की भी आशंका रहती है। पूर्व में लखनऊ, प्रतापगढ़, वाराणसी, प्रयागराज रेलवे स्टेशन तथा हाथरस में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। इसके दृष्टिगत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिकरण ने भीड़ प्रबंधन के बारे में कई सुझाव दिए हैं।
एसओपी के मुताबिक डीएम, सीएमओ, सिविल डिफेंस, अग्निशमन, विभिन्न स्वयंसेवी संगठन तथा स्थानीय पुलिस द्वारा इसे लगातार अपडेट किया जाता रहेगा। आपदा प्रबंधन से संबंधित सभी विभाग नियमित पूर्वाभ्यास करेंगे। पुलिस लाइन में विशेष आयोजनों में सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण तथा यातायात के दृष्टिगत आवश्यक संसाधनों व उपकरण व प्रशिक्षण का इंतजाम करना होगा। सभी राजकीय व निजी अस्पतालों को भी चिह्नित करना होगा।
ये बरतनी होंगी सावधानियां
– संभावित खतरे जैसे अग्नि दुर्घटना, विद्युत जनित दुर्घटना, मार्ग दुर्घटना, श्वास अवरोध आदि का आकलन।
– नोडल मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, सुरक्षा एजेंसी, नगर निगम, खाद्य सुरक्षा विभाग, एयरपोर्ट सुरक्षा तथा प्रोटोकॉल एवं जिला प्रशासन से समन्वय।
– कार्यक्रम धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, खेल आदि किस प्रकार का है, आगंतुकों की संख्या का पता।
– अफवाह फैलाने वालों, असामाजिक तत्वों पर सतर्क दृष्टि रखना, सोशल मीडिया और मीडिया की समुचित ब्रीफिंग करना।
– कार्यक्रम स्थल पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था, पेयजल, पंखे, एंबुलेंस तथा मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के अनुरूप संसाधनों की व्यवस्था करना।
– भीड़ नियंत्रण योजना के अनुरूप व्यक्तियों व वाहनों का आवागमन तथा पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित करना।
– कार्यक्रम स्थल पर लगे सीसीटीवी की मॉनिटरिंग, ऑपरेशनल कंट्रोल एवं कमांड सेंटर को सक्रिय रखना।
– भगदड़ होने पर पीड़ितों को अस्पताल भेजने के लिए अधिक एंबुलेंस का प्रबंध व ग्रीन कॉरिडोर बनाना।
– स्थानीय फील्ड यूनिट, अग्निशमन, बीडीएस टीम, पीएसी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ को तत्काल भेजना
– घटना का मुकदमा दर्ज कर अभियुक्तों को गिरफ्तार करना, ठोस साक्ष्य जुटाकर समयबद्ध विवेचना करना।