4:45 am Friday , 31 January 2025
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भागवत कथा के चतुर्थ दिन धूमधाम से मनाया गया कृष्ण जन्मोत्सव

बदांयू शहर के प्रसिद्ध श्री रघुनाथ जी मंदिर ( पंजाबी मंदिर ) में श्री मद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा का व्याख्यान करते हुए कथा वाचक परम श्रद्धेय भागवत भास्कर आचार्य पंडित श्री मुमुक्षु कृष्ण शास्त्री जी ने बताया विदुर के घर साग खाने के बाद जब कृष्ण विदा हो गए उसके बाद विदुर धृष्टराष्ट्र को समझाते हुए कहते हैं कि –

*राजा के लिए पिता और पुत्र में अंतर नहीं होना चाहिए अगर पुत्र राज्य के विनाश का कारण बन जाए तो उसे त्याग देने में भलाई है।*

कथा को आगे बढ़ाते हुए कथा व्यास बोले कि *वास्तव में सुख एवं दुख नाम की वस्तु है ही नहीं, ना कहीं सुख है और ना कहीं दुख है*

👉 मन के अनुकूल अगर कोई कार्य होता है तो हम उसे सुख कहते हैं एवं मन के प्रतिकूल हुए कार्य को हम दुख कहते हैं।

*मन के हारे हार है और मन के जीते जीत*

आनंद हमारे भीतर है
हम बाहर आनंद खोजते हैं

कथा व्यास ने भक्त प्रह्लाद एवं श्रषभ देव जी की कथा का उल्लेख किया और जब महाराज जी ने श्री कृष्ण जन्म एवं नंदोत्सव का वर्णन किया तो पंडाल में हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ आया पूरे पंडाल में नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयकारों की गूंज रही।गाजे-बाजे की धुन पर श्रद्धालु झूम झूम कर नाचने लगे। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर पूरे पंडाल में महिलाएं बच्चे और बूढ़े सभी श्रद्धालु द्वारा नाच गाकर और पुष्प वर्षा कर धूमधाम के साथ भगवान का जन्म उत्सव मनाया।

श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे। एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां दी गई, एक-दूसरे को खिलौने और मिठाईयां बाटी गई। कथा महोत्सव में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भजन एवं नृत्य कर भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई।