5:22 pm Friday , 31 January 2025
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बदायूं एक्सप्रेस पड़ताल- चंद घंटे बाद ही जिंदगी की जंग हार गए पौधे, कुछ सूखे तो कई जगह उखड़े पड़े हैं।


बदायूं 23 जुलाई।
पौधारोपण के एक दिन बाद पौधा सूखा, कोई उखाड़ ले गया या पशु पौधे को खा गया।***************************** उत्तर प्रदेश सरकार की पर्यावरण को लेकर महत्वाकांक्षी पौधारोपण योजना देखरेख के अभाव में दम तोड़ती नजर आ रही है। इसकी सबसे बड़ी बजह है जिले में बारिश का ना होना व बेतहाशा गर्मी का प्रकोप। इसकी पड़ताल करने के लिए बदायूं एक्सप्रेस की टीम उन जगहों पर गई, जहां अधिकारी और नेताओं ने पौधारोपण किया। वहां जब हाल देखा तो आंखें भर आईं, देखिए कैसे जिंदगी की जंग हार गए पौधे।
माहौल जश्न जैसा ही था। वन महोत्सव की तैयारियां भी पिछले कई रोज से जिले में चल रहीं थीं। कहीं अफसरों से पौधा लगवाकर महोत्सव की शुरूआत की, थी तो कहीं जनप्रतिनिधियों के हाथों। 20 जुलाई को तो पौधरोपण करते लोगों की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर छाए रहे। लेकिन यह क्या बाद में पौधों को देखने कोई पहुंचा ही नहीं। 22 जुलाई को जब बदायूं एक्सप्रेस की टीम ने पौधरोपण वाले कुछ स्थानों पर जाकर पड़ताल की तो तस्वीरें वाकई परेशान करने वालीं थीं। कहीं पौधे उखड़े पड़े थे। कहीं गड्ढे के पास पड़े थे। तो कहीं सूख चुके थे।
शहर बदायूं में प्रदेश के मंत्री , विधायक, नगर पालिका के चैयरमेन,प्रधान, आला अधिकारियों की देखरेख में वन महोत्सव के तहत जिले में लाखों पोंधे रोपें गये। दूसरे दिन अधिकांश पौधे एक कोने में पड़े मिले। सैकड़ों सूख गए थे।

कई जगह रोपे गए पौधे भी दम तोड़ते नजर आए। उझानी, बदायूं, बिल्सी ,सहसवान, बजीरगंज,, बिसौली सहित देहात क्षेत्रों में रोपे गए पौधे धूप व पानी के अभाव में मुरझा गए हैं। बंदायूं में पशुपालन विभाग के मंत्री ने विधायक,अफसरों के साथ पौधारोपण किया था, वहां पर वन विभाग के कर्मचारी इन पौधों की देखरेख करते मिले।
वास्तविकता में यह होना चाहिए। जब तक पौधों को ट्री गार्ड या सुरक्षित चहारदीवारी के अंदर नहीं लगाया जाएगा, तब तक पौधरोपण अभियान की यही स्थिति रहेगी। निजी भागीदारी व जिम्मेदारी तय करने से अच्छे परिणाम मिलेंगे।
इस बार वार्षिक पौधों की प्रजाति के हिसाब से भूमि का चयन किया गया है, जो पौधा जैसी भूमि पर वृद्धि करता है उसी हिसाब से पौधरोपण किया गया है। वर्षाकाल में पौधरोपण करने के पीछे भी यही वजह है कि पानी के अभाव में पौधे सूखे नहीं। डेढ़ से दो माह तक बारिश के पानी से पौधे की जड़ बढ़नी शुरू हो जाती है। पौधरोपण के साथ ही संबंधित विभागों को उनकी देखरेख करने का जिम्मा सौंपा गया है। पौधों की जिओ टैगिंग भी की जा रही है। कई जगह पौधा लगाने के लिए खोदे गये गड्ढे मगर पौधा नही लगाऐ गये। जिले में लाखों पोंधे लगाऐ मगर देखना है कि कितने पोंधे पेड बनते हैं। ****************/ बदायूं से सुशील धींगडा, उझानी से राजेश वार्ष्णेय, बजीरगंज से सोम्य सोनी, बिल्सी से गोविंद देवल।*******/////***