सप्ताहिक सतसंग
बिल्सी, तहसील क्षेत्र के ग्राम गुधनी में स्थित आर्य समाज मंदिर में सप्ताहिक सतसंग का आयोजन किया गया । इस अवसर पर सर्वप्रथम यज्ञ किया गया । वैदिक विद्वान आचार्य संजीव रूप ने यज्ञ के पश्चात उपदेश करते हुए कहा “सद्ज्ञान ही गुरु है । जो सन्मार्ग दिखाएं वही सच्चा गुरु है । माता हमारी प्रथम गुरु है तो पिता हमारा दूसरा गुरु है । हमारे बुजुर्ग जो हमें अच्छाई का रास्ता दिखाते हैं और बुराइयों से बचाते हैं वह भी गुरु की श्रेणी में आते हैं किंतु जो अविद्या को मिटा करके विद्या का प्रकाश करें वह विद्वान सच्चा सर्वोपरि गुरु है। बिना गुरु के जीवन शुरू नहीं होता । हम सबको अपने गुरुओं का सदा आदर करना चाहिए । प्रश्रय आर्य ने कहा कोई लिंग अर्थात तिलक कलावा वस्त्र आदि धर्म का कारण नहीं होते किंतु जिन सत्कर्मों को धारण करने से जीवन पवित्र होता है वे सब सत्कर्म ही धर्म होते हैं । कुमारी तृप्ति शास्त्री कुमारी मोना रानी कुमारी ईशा आर्य ने वेद पाठ किया । सत्यम आर्य ने सुंदर भजन सुनाया ।
इस अवसर पर श्रीमती सरोज देवी, श्रीमती गुडडो देवी, मास्टर साहब सिंह, मास्टर अगरपाल सिंह बद्री प्रसाद आर्य आदि एव आर्य संस्कारशाला के बच्चे मौजूद रहे