* फिलहाल यूपी में नहीं होगा कोई बड़ा फैसला! सिर्फ संगठन-सरकार में हो सकते हैं बदलाव।
यूपी में आठ दिनों से योगी को बदलने की खबरें खूब प्रचारित हो रही है, लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व हो या संगठन योगी आदित्यनाथ का काट ढूढना अभी भाजपा नेतृत्व को मुश्किल लगता है। आज मुख्यमंत्री निवास पर हुई मंत्री परिषद की बैठक के बाद सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिन इलाकों में लोकसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी हारी है, उन इलाकों से अगर राज्य सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं है, तो वहां से सियासी समीकरणों के आधार पर जिम्मेदारी देने की चर्चा हुई है।
बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश की सियासत में किसी ‘बहुत बड़े बदलाव’ को लेकर सियासी गलियारों में खूब चर्चाएं हो रही है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से कल दिल्ली में मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद बीते तकरीबन 12 घंटे से उत्तर प्रदेश की सियासत में भारी फेरबदल की चर्चा हो रही है। भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों की मानें, तो उत्तर प्रदेश के संगठन और सरकार में कुछ बदलाव तो होने तय हैं। लेकिन जिसकी चर्चा सियासी गलियारों में सबसे ज्यादा हो रही है, उस तरीके का कोई बड़ा चौंकाने वाला फैसला फिलहाल उत्तर प्रदेश में नहीं होने वाला है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद से हार के कारणों पर चर्चा हो रही है। इन्हीं चर्चाओं के बीच उत्तर प्रदेश में बड़े फेरबदल की बात की जा रही थी। लगातार उत्तर प्रदेश के बड़े नेता मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में हैं। जानकारी के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व के सूत्रों की मानें तो मंत्रिमंडल में फेरबदल या बदलाव की जो भूमिका बनाई गई है, उसमें जातिगत समीकरणों और जहां पर पार्टी चुनाव हारी है उसका पूरा सियासी खाका खींचा गया है। सूत्रों का कहना है कि बीते कुछ दिनों में जो चर्चाएं हुई हैं, उसमें यह निष्कर्ष निकला है कि उपचुनावों के बाद उत्तर प्रदेश में न सिर्फ मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार हो सकता है। बल्कि संगठनात्मक स्तर पर भी कुछ बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं।