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हर साल खर्च हो रही लाखों की रकम…फिर भी नहीं निकल रहा मच्छरों का दम

****** उझानी बदायूं 14 जुलाई।
बारिश के बाद शहर में खासकर उन इलाकों में हालत खराब है, जहां जलभराव की समस्या है। वहां मच्छरों की संख्या बढ़ रही है। यहां फागिंग कराने की जिम्मेदारी नगर पालिका की है। मगर नाले-नालियों के ऊपर दिन भर मच्छर भिनभिनाते दिखेंगे। शाम को घरों में लोगों को परेशान करते हैं।
बारिश के मौसम में लोगों को डेंगू-मलेरिया जैसे गंभीर मच्छरजनित रोगों से बचाव के लिए संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है। शहरी क्षेत्र में मासिक लाखों रुपये खर्च का दावा नगर पालिका प्रशासन कर रहा है। मगर शहरवासी मच्छरों की समस्या से जूझ रहे हैं। हालात यह हैं कि पॉश व वीआईपी इलाकों में जरूर फागिंग होती दिखती है। लेकिन शहर के कई मुहल्लों की अनदेखी की जा रही है। कहने को उझानी शहर के करीब चार मोहल्ले डेंगू और मलेरिया के लिए अति संवेदनशील घोषित हैं। इन इलाकों में मच्छरों का सर्वाधिक प्रकोप है।
ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि अभी तो शुरुआत है। आने वाले समय में मच्छरों से कैसे लड़ा जाएगा। शासन के निर्देश के अनुसार, शहरी क्षेत्र में नगर पालिका द्वारा साफ-सफाई व एंटी लार्वा दवा का छिड़काव किया जाना है।

रेलवे क्रासिंग की ओर जा रहे नाले में भिनभिनाते मच्छर दिन में भी देखे जा सकते हैं।
बताते हैं कि रोज का औसत खर्च
नगर पालिका के दावे के अनुसार, दो से तीन हजार प्रतिदिन के हिसाब से फागिंग पर खर्च होता है। मासिक औसत खर्च लगभग एक लाख रुपये बैठता है। इस तरह बारिश व गर्मी के छह माह में फागिंग कराने पर यह खर्च करीब छ या सात लाख के आसपास होगा।
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इन इलाकों में हालात बेहद खराब है, नझियाई की कश्यप बस्ती, भर्राटोला, बालाजीपुरम, संजरपुर रोड, बहादुर गंज, गद्दी टौला, बाजारकंला की हरिजन बस्ती , गंजशहीदा , मोहल्ला नगला, मिलकंम्पाउड ,इंदिरा कालोनी आदि इलाकों में मच्छरों ने जीना दूभर कर रखा है। इन इलाकों में फागिंग ना होने की शिकायत है। **********
स्टेशन रोड, भदवार गंज, साहूकारा, पंजाबी कालोनी,लिंक रोड, नारायणगंज, बदायूं रोड, सरकारी दफ्तरों और अधिकारियों के आसपास का इलाका, जनप्रतिनिधियों के निवास वाले इलाकों में जरूर फागिंग होती दिखाई देती है।*********/कई इलाकों में फॉगिंग न होना लेकिन रोज इतने बड़े खर्च से शंका पैदा होती है कि कहीं तेल में खेल तो नहीं चल रहा।
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मच्छरों से हाल बेहाल है। लोग बीमार पड़ रहे हैं। हमने अपने इलाके में कभी फागिंग होते नहीं देखी। – सुहाना बेगम, गंजशहीदा ।******
शहर में फागिंग के नाम पर सिर्फ फोटो खिंचवाने का काम होते देखा है। मगर मच्छर नहीं मर रहे। -अतुल कुमार, बहादुरगंज।*******
हमने अपने इलाके में अभी तक फागिंग होते नहीं देखी है। मच्छरों से जीवन मुश्किल है। – गंगा सिंह शाक्य, गद्दी टौला।******////*////
दिन में भी मच्छर भिनभिनाते रहते हैं। रात को बुरा हाल हो जाता है। मच्छरों के काटने से बीमारियां हो रही हैं। फागिंग नहीं होती है। – संचिता रानी, कश्यप बस्ती नझियाई।**********
नगर पालिका द्वारा लगातार फागिंग कराई जा रही है। एंटी लार्वा दवा छिड़की जा रही है। सभी वार्डों में मशीनों व बैगपैक स्प्रे मशीनों से छिड़काव कराया जाता है। इसका रोस्टर बना है, जहां शिकायत मिलती है, वहां टीम भेजी जाती है। फिर भी अगर कहीं शिकायत है तो इसकी समीक्षा की जाएगी। -अब्दुल शबूर ईओ।*********/ राजेश वार्ष्णेय एमके/ अभिनव सक्सेना