11:23 am Friday , 31 January 2025
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सुख का मूल यज्ञ है, श्रेष्ठ कर्म ही यज्ञ है : आचार्य रूप

सप्ताहिक सतसंग

बिल्सी, तहसील क्षेत्र के ग्राम गुधनी में स्थित आर्य समाज मंदिर में सप्ताहिक सतसंग का आयोजन किया गया । इस अवसर पर सामवेद के मंत्रों से आहुतियाँ दी गई और विश्व शांति की कामना की गई । वैदिक विद्वान आचार्य संजीव रूप ने यज्ञ के पश्चात उपदेश करते हुए कहा “सुख का मूल यज्ञ ! पर् यज्ञ नाम केवल हवन पूजा का नहीं है किंतु संसार भर के सब अच्छे कामों व्यवहारओं का नाम यज्ञ है । यदि आप सत्य बोलते हैं तो वाणी से यज्ञ करते हैं ,आंखों से अच्छा देखते हैं तो आप आंखों से यज्ञ करते हैं ,मन में आपके बुराई का विचार नहीं आता तो मन से यज्ञ करते हैं । इसी प्रकार आपको जो ड्यूटी मिली है उसे पुरी ईमानदारी और कर्ताव्यनिष्ठा के साथ निभाते हैं तो आप यज्ञ करते हैं । कुमारी तृप्ति शास्त्री कुमारी मोना रानी कुमारी ईशा आर्य ने वेद पाठ किया । प्रश्रय आर्य ने सुंदर भजन सुनाया *आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन
मन की तरंगे मार लो बस हो गया भजन ।
इस अवसर पर श्रीमती सरोज देवी, श्रीमती गुडडू देवी, मास्टर साहब सिंह, मास्टर अगरपाल सिंह बद्री प्रसाद आर्य आदि एव आर्य संस्कारशाला के बच्चे मौजूद रहे