।****** बैज्ञानिकों ने बताऐ बचाव के उपाय।***** बदायूं 11 जुलाई।
बरसात की शुरुआत होते ही पोक्का रोग के लक्षण गन्ने की फसल पर दिखाई देने लगे हैं, जो गन्ने के लिए अत्यंत खतरनाक साबित हो सकते हैं। इस रोग की शुरुआत मॉनसून की शुरुआत होते ही हो जाती है और यह रुक-रुक कर होने वाली बारिश और धूप के कारण फैलता ह। अगर इसका समय पर प्रबंधन और रोकथाम नहीं की जाए तो इससे गन्ने की फसल को भारी नुकसान हो सकता है।
गन्ने की फसल में बारिश के बाद फसलों की वृद्धि होती है।उस समय मोसम के बदलाव के चलते रोग उत्पन्न हो जाते हैं। इनमें से एक प्रमुख और खतरनाक रोग है पोक्का रोग, जो हाल के वर्षों में गन्ने की खेती के लिए अत्यंत घातक साबित हो रहा है। अगर पोक्का की रोकथाम नहीं करते हैं, तो इससे गन्ने की फसल को भारी नुकसान हो सकता है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शांहजहापुर ने जानकारी दी है कि गन्ने की फसल में पोक्का बोइंग रोग का प्रकोप शुरू हो गया है। इससे किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है, अन्यथा गन्ने की उपज को भारी नुकसान हो सकता है। यह रोग फ्यूजेरियम नामक कवक से फैलता है, यह रोग रुक-रुक कर होने वाली बारिश और धूप के कारण फैलता है।
लीफ सीथ यानी जहां पत्ती और तना जुड़ते हैं, वहां पर सफेद धब्बे दिखाई देते हैं। पत्तियां मुरझाकर काली पड़ जाती हैं और पत्ती का ऊपरी भाग सड़कर गिर जाता है, जिससे गन्ने का विकास प्रभावित होता है। ग्रसित पत्तियों के नीचे का अगोला छोटा और अधिक हो जाता है,पोरियों पर चाकू से कटे निशान भी दिखाई देते हैं। यह रोग उन गन्ने की किस्मों को अधिक प्रभावित करता है जिनकी पत्तियां चौड़ी होती हैं। इससे गन्ना छोटा और बौना हो जाता है।
उत्तर प्रदेश शोध परिषद के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस रोग का लक्षण ऊपर की पत्तियों में साफ तौर पर दिखाई पड़ता है। रोग की प्रारंभिक अवस्था में अगोले की पत्तियों पर सफेद धब्बे पड़ते हैं, जिनमें पत्तियां मुड़ने लगती हैं और एक-दूसरे से लिपट कर चाबुक जैसी आकृति बना लेती हैं। अधिक देर तक प्रभाव रहने के कारण पौधे की चोटी में पत्तियां अविकसित रह जाती हैं। पत्ती सड़कर नीचे गिर जाती हैं, संक्रमण की तीव्रता अधिक होने पर अगोले की सारी पत्तियां मुड़कर, सुखकर गिर जाती हैं। गन्ने का ऊपरी भाग ठूंठ की तरह दिखाई देता है, जिससे गन्ने की लंबाई नहीं बढ़ पाती और गन्ना टेढ़ा और बौना हो जाता है।
इस रोग से प्रभावित गन्ने का पौधा छूने मात्र से टूट जाता है।मानो किसी धारदार हथियार से काटा गया हो, दूसरा गन्ने के पौधे की वृद्धि अपने आप रुक जाती है जिससे उत्पादन में काफी कमी आ जाती है। पोक्का रोग की रोकथाम के लिए किसान कार्बेंडाजिम 50 WP का 400 ग्राम को 400 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। यह छिड़काव रोग के प्रथम लक्षण दिखाई देने पर ही करें। ऑक्सीक्लोराइड 50 WP का 800 ग्राम 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें या कासूकीमाईसीन 5 WP और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45 WP की 400 ग्राम दवा को 400 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें। यह स्प्रे 10 से 15 दिन के बाद पुनः दोहराया जा सकता है।
जून से सितंबर तक 15 दिनों के अंतराल पर ट्राइकोग्रामा स्पीसीज 1 ट्राइको कार्ड (20000 परजीवी अंडे) को गन्ने के खेत में लगाएं ताकि तना छेदक कीट की रोकथाम हो सके।
इन उपायों को अपनाकर किसान गन्ने की फसल को पोक्का बोइंग रोग और तना बेधक कीट के प्रकोप से बचा सकते हैं और अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं ।