बदायूं- श्री रघुनाथ मंदिर में चल रही श्री राम कथा के छठे दिन कथा व्यास पंडित बृजेश पाठक ने कहा वास्तव में भक्त तो वही हो सकता है जिसे भगवान को अपना सर्वस्व स्वीकार कर लिया है! जिसने यह निर्णय कर लिया है प्रभु राम मेरे हैं और मैं प्रभु राम का हूं ! मैंने प्रभु राम का वरण कर लिया है और प्रभु राम ने मेरा वरण कर लिया है मुझे अब कुछ भी वरणीय नहीं है! भक्त के लिए भगवान का संबंध पहले है बाकी सारे संबंध बाद में है !अगर भगवान को साथ रखकर कोई संबंध बनता है तो भक्त उसमें राजी है पर भगवान को छोड़कर कोई संबंध बनता है तो भक्त के लिए उसे संबंध का कोई मूल्य नहीं है! भक्त अपने भगवान पर सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तैयार रहता है! तभी तो रामायण में श्री लक्ष्मण प्रभु राम की सेवा के लिए सब कुछ त्याग कर उनके साथ बन चले जाते हैं !यद्यपि प्रभु राम ने उन्हें समझाया तुम अयोध्या में रहकर माता-पिता गुरु की सेवा करो पर लक्ष्मण ने स्पष्ट कह दिया मैं किसी को नहीं जानता मेरे सर्वस्व तो आप है! ऐसी विलक्षण निष्ठा थी श्री लक्ष्मण जी की राम के प्रति!
संस्था के पदाधिकारी ओमप्रकाश जी कोचर के अनुसार 7 दिवसीय श्री राम कथा का विश्राम कल (आज) 10 जुलाई को होगा!