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कल से गूंजने लगी शहनाई, शादियों के शुभ मुहूर्त सिर्फ 7 दिन- फिर चार माह का ब्रेक

।******—–* फिर 4 महीने के लिए सो जाएंगे भगवान।***** उझानी बदायूं 10 जुलाई।
जुलाई में सिर्फ 7 दिन गूंजेगी शहनाई, फिर 4 महीने के लिए सो जाएंगे भगवान, आचार्य प्रवीण शर्मा ने बताया कि 17 जुलाई को चातुर्मास का आरंभ होगा, जिससे चार महीने तक मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाएगी। अगस्त से अक्टूबर तक मांगलिक कार्यों के लिए कोई अनुकूल शुभ मुहूर्त नहीं हे।
विवाह और शुभ मुहूर्त कब-कब है, 61 दिन के लंबे अंतराल के बाद धन, वैभव, प्रेम, सौंदर्य और सुख-समृद्धि के कारक शुक्र ग्रह का 29 जून को उदय हो गया था। मिथुन राशि में शुक्र उदय होने के आठ दिनों के बाद मांगलिक कार्यों पर लगा विराम भी हट जाएगा और कल 9 जुलाई से शहनाई गूंजने लगी ।

जुलाई माह के पहले पखवाड़े में विवाह के कुछ श्रेष्ठ मुहूर्त है।उसके बाद फिर चार माह की योग निद्रा में श्री हरि चले जाएंगे। मांगलिक कार्य थम जाएंगे। 29 अप्रैल को शुक्र के अस्त होने के कारण मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया था।विवाह और अन्य मांगलिक कार्यो के लिए शुक्र तारे के उदय होना बेहद जरूरी होता है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी पर बुध की राशि मिथुन में शुक्र ग्रह का पश्चिम दिशा में उदय हो गया। हालांकि शुक्र उदय होने के आठ दिन के बाद विवाह के लिए मुहूर्त मिल रहा है।

जुलाई के महीने में बीते कल से 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15 तारीख को विवाह के शुभ मुहूर्त है। शादी-विवाह के साथ ही नामकरण, जनेऊ, मुंडन, गृहप्रवेश, भूमि पूजन, भवन-वाहन, आभूषण की खरीदारी शुरू हो जाएगी। फिर 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी के बाद चातुर्मास का आरंभ हो जाएगा। इन चार महीनों में मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाएगी। इसके बाद 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य फिर शुरू हो जाएंगे और 14 दिसंबर तक चलेंगे। नवंबर में विवाह के सात और दिसंबर में आठ शुभ मुहूर्त मिलेंगे। बताया कि गुरु कन्या सुख कारक हैं तो शुक्र ग्रह पति सुख कारक हैं इसलिए शादी विवाह में गुरु और शुक्र का उदित होना जरूरी है। ज्योतिष शास्त्र में गुरु वैवाहिक जीवन तो शुक्र ग्रह दांपत्य जीवन के कारक ग्रह हैं इसलिए इनके अस्त होने पर विवाह नहीं होते। दोनों ग्रहों का शुभ विवाह के लिए उदय होना शास्त्र सम्मत माना जाता है।

आचार्य प्रवीण शर्मा ने बताया कि विवाह मुहूर्त की गणना करते समय शुक्र तारा और गुरु तारा पर विचार किया जाता हे । बृहस्पति और शुक्र के अस्त होने पर विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते है, इसलिए इस दौरान कोई विवाह समारोह नहीं किया जाना चाहिए।

आचार्य ने बताया कि 17 जुलाई को चातुर्मास का आरंभ होगा सीधे नवंबर में देवउठनी एकादशी से पुन: शुभ कार्य आरंभ होंगे वर्षांत में भी शुभ एवं मांगलिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त कम ही रहेंगे। 12 नवंबर से 15 दिसंबर के मध्य ही मांगलिक कार्यों के कुछ श्रेष्ठ मुहूर्त है।
जुलाई: 9 से 15 (7 दिन) नवंबर: 16 से 18, 22 से 26,28 ( 9 दिन) दिसंबर: 2 से 5, 9 से 11, 13 से 15 (10 दिन) ही विवाह के लिए श्रेष्ठ है। राजेश वार्ष्णेय एमके