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नए नोटों की कालाबाजारीः शादियां आते ही नए नोटों के लिए डेढ़ गुनी तो कहीं मनमानी वसूली कर रहे धंधेबाज


उझानी बदायूं 8 जुलाई।
बैंकों से 10, 20 के नए नोटों की गड्डी मिलनी मुश्किल है। मगर नगर में डेढ़ गुनी रकम वसूल रहे कारोबारी।
जैसा कि सभी लोगों को मालूम है कि नए नोटों के लिए बैंक में जाना पड़ता है, मगर यहां हालात कुछ अलग हैं। शादी, लगन में नए नोटों के लिए अब नऐ नोटों के हार बेचने वालो के पास जाना पड़ेगा । धंधेबाजों की सेटिंग इतनी तगड़ी है कि बैंक में नए नोट मांगने पर हाथ खड़े कर दिए जाते हैं। 10 के नोट तो बैंक में हैं ही नहीं, मगर धंधेबाजों की दुकानों पर भरे पड़े हैं। इसका पूरा फायदा नए नोटों का धंधा करने वाले उठा रहे हैं। शादियों का समय आते ही नए नोटों की डिमांड बढ़ी और इसकी कालाबाजारी भी शुरू हो गई। बैंक से नए नोटों की गड्डी न मिलने से इसका फायदा दुकानदार खूब उठा रहे हैं। आलम यह है कि 10 रुपये के नए नोटों की गड्डी के लिए लोगों को डेढ़ गुनी कीमत चुकानी पड़ रही है। 20 रुपये की गड्डी के लिए भी मनमानी कीमत वसूली जा रही है। बैंक प्रबंधन के अनुसार तीन महीने से 10 रुपये के नए नोटों की गड्डी बैंकों में भी नहीं आई। इस कारण कई शाखाओं पर 10 और 20 रुपये की नई करेंसी नहीं है।

शादियों के सीजन में नए नोटों खासकर 10-20-50-100 रुपये की गड्डी की जरूरत लोगों को ज्यादा पड़ती है। पहले तो लोग बैंकों का रुख करते हैं। वहां से निराशा मिलने पर दुकानदार से ज्यादा रकम देकर नए नोटों की गड्डी ले लेते हैं। इस समय हालात यह हैं कि 10 और 20 के नोट के लिए मारामारी मची हुई है। 10 रुपये के नए नोट की गड्डी के लिए डेढ़ गुनी कीमत व्यापारी वसूल रहे हैं। 20 रुपये के नोट के लिए भी यही हाल है। 50, 100, 500 रुपये के नोटों की गड्डी पर्याप्त मात्रा में बैंकों में उपलब्ध हैं। बैंक प्रबंधन की मानें तो आरबीआई की ओर से बैंकों की डिमांड पर नए नोट उपलब्ध कराए जाते हैं। करीब तीन महीने से 10 रुपये के नोट नहीं आए हैं। इसके कारण कुछ चुनिंदा बैंकों को छोड़कर अन्य जगह नए नोट की उपलब्धता नहीं । जो ग्राहक दुकानदारों को मनचाही रकम दे रहा है, उसे नऐ नोट आसानी से उपलब्ध कराये जा रहे है। अन्य लोगों को कल, परसों आने के लिए कहा जा रहा है। कुछ लोग एडवांस में भी रकम दे रहे हैं ताकि उन्हें शादी वाले दिन नए नोट की गड्डी मिल जाए।

बैंकों से गायब नए नोट दुकानदारों तक जिस तरह से पहुंच रहे हैं, इससे उनकी सेटिंग का अंदाजा लगाया जा सकता है। कई बैंक प्रबंधन से जुड़े लोगों का भी मानना है कि अगर बैंकों में तीन महीने से नए नोट नहीं आए तो इन तक कैसे पहुंच रहा है। कारोबाकी सेटिंग कर किसी न किसी बैंक के जरिए ही नोट ले रहे हैं। इन पर कार्रवाई जरूरी है। राजेश वार्ष्णेय एमके।