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श्री रघुनाथ मंदिर( पंजाबी मंदिर) में आयोजित सप्त दिवसीय श्री राम कथा के तीसरे दिन कथा व्यास पंडित बृजेश पाठक ने कहा अपने मन की पीड़ा और व्यथा केवल भगवान को सुनाएं संसार को नहीं !क्योंकि संसार के लोगों का स्वभाव होता है वह दुखी होकर हमारी पीड़ा सुन लेते हैं और हंसकर समाज में कह देते हैं, इससे हमें कुछ लाभ तो होता नहीं समाज में हमारी मान मर्यादा अवश्य समाप्त हो जाती है! इसलिए संत लोग संसार में पीड़ा सुनने के लिए निषेध करते हैं! पीड़ा सुनाना है तो हरी को सुनाएं जो हमारा दुख और पीड़ा सुनते भी है और उसका निवारण भी करते हैं !
संसारी लोग तो कई बार सुनकर के भी अनसुनी कर देते हैं! एक प्रभु ही ऐसे हैं जो भक्त की पुकार हर समय सुनते हैं हर जगह सुनते हैं, इसलिए प्रभु को सुनाना ही श्रेयस्कर है !
रामायण में सुग्रीव और विभीषण ने अपनी व्यथा प्रभु को सुनाई, और भगवान ने अपनी कृपा से उनके दुख का निवारण कर दिया