महापुरुष स्मारक समिति एवम सर्व समाज जागरूकता अभियान भारत के संयुक्त तत्वावधान में महान स्वतंत्रता सेनानी , शिक्षाविद,देश भक्त, क्रांतिकारी डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती चंदौसी रेलवे जंक्शन के सामने मुखर्जी चौक पर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा (स्मारक) पर धूमधाम से मनाई गई।सर्वप्रथम मुख्य अतिथि/ मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने डॉक्टर मुखर्जी की प्रतिमा (मूर्ति) के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर माल्यार्पण किया।अध्यक्षता देवेन्द्र प्रसाद शर्मा (संरक्षक)ने की, संचालन मनोज सिंघल ने किया।व्यवस्थापक नगर अध्यक्ष पण्डित सच्चिदानन्द शर्मा रहे। बदायूँ से पधारे विशिष्ट अतिथि बरिष्ठ कर्मचारी नेता,समाज सेवी एबं आदि आदि संघटन के मीडिया प्रभारी इं प्रमोद कुमार शर्मा, एन के शर्मा (पूर्व प्रशासनिक अधिकारी),दीपेंद्र नाथ गुप्ता (सामाजिक कार्यकर्त्ता), सुख वासी लाल, अरुण सकसेना, राघवेंद्र मिश्रा (सेक्शन इंचार्ज रेलवे), राजेंद्र सिंह राघव (पूर्व प्रधानाचार्य ), डॉक्टर धर्मवीर सिंह, वेदराम मौर्य (पूर्व प्रधान)रहे। कार्यक्रम आयोजक पण्डित सुरेश चंद्र शर्मा रहे।मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने संबोधित करते हुए कहा कि डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने संसद के भाषण में कहा था कि राष्ट्रीय एकता के धरातल पर ही सुनहरे भविष्य की नींव रखी जा सकती है। भारतीय इतिहास में उनकी छवि एक कर्मठ और जुझारू व्यक्तित्व वाले ऐसे इंसान की है, जो अपनी मृत्यु के इतने वर्षों बाद भी अनेक भारतवासियों के आदर्श और पथप्रदर्शक हैं।डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी देशभक्त,क्रांतिकारी , शिक्षा विद, प्रखर राष्ट्रवादी, चिंतक तथा भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे। राष्ट्रीय एकात्मता एवम अखंडता के प्रति अगाध श्रद्धा ने ही डॉक्टर मुखर्जी को राजनीत के समर में झोंक दिया।श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म ०६जुलाई १९०१को प्रसिद्ध बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। आपके पिता सर आशुतोष मुखर्जी एवम माता जोगमाया मुखर्जी थीं। १९२१में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक, १९२३में एम ए, तथा १९२४ में वी एल किया। १६अप्रैल १९२२को डॉक्टर मुखर्जी का विवाह सुधा देवी के साथ हुआ।पिता के निधन के बाद इंग्लैंड चले गए वहां से बैरिस्टर बन कर लौटे । उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। १९३४मे डॉक्टर मुखर्जी विश्व के सबसे कम उम्र मात्र ३३बर्ष के कुलपति बनाए गए। वह बंगाल विधान परिषद सदस्य भी चुने गए। १९४४मे हिंदू महासभा के अध्यक्ष नियुक्त किए गए। डॉक्टर मुखर्जी को प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने उद्योग एवम आपूर्ति मंत्री बनाया। लेकिन ०६अप्रैल १९५०को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। २१अक्तूबर १९५१को भारतीय जनसंघ की स्थापना की। १९५२में भारतीय जनसंघ ने तीन सीटों पर विजय प्राप्त की। जिस समय अंग्रेज अधिकारियों और कांग्रेस के बीच देश की स्वतंत्रता के प्रश्न पर वार्ताएं चल रही थी और मुस्लिम लीग देश के विभाजन की अपनी जिद पर अड़ी हुई थी तब डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस विभाजन का पुरजोर तरीके से विरोध किया, जिसके कारण आधा पंजाब और आधा बंगाल भारत में मौजूद है। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झंडा और संविधान था। वहां का मुख्यमंत्री भी प्रधानमंत्री कहा जाता था। लेकिन डॉक्टर मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने जोरदार नारा दिया -“एक देश में दो निशान, एक देश में दो प्रधान, एक देश में दो विधान नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे।”अगस्त १९५२मे जम्मू की विशाल रैली में डॉक्टर मुखर्जी ने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि “या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊंगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना जीवन बलिदान कर दूंगा।”मई १९५३मे बिना परमिट जम्मू कश्मीर में प्रवेश करने पर डॉक्टर मुखर्जी को ११मई १९५३में शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार ने हिरासत में ले लिया। २३जून १९५३को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। उनके बलिदान के बाद शेख अब्दुल्ला को हटा दिया गया। अलग संविधान, अलग प्रधान एवम अलग झंडे का प्राविधान निरस्त हो गया। ५अगस्त २०१९को भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर से ३७०धारा हटा दी गई। जम्मू कश्मीर से ३७० हटाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है डॉक्टर मुखर्जी का सपना साकार हुआ। शत शत नमन।अध्यक्षता करते हुए देवेन्द्र प्रसाद शर्मा, संचालक मनोज सिंघल,व्यवस्थापक नगर अध्यक्ष पण्डित सच्चिदानन्द शर्मा, विशिष्ट अतिथि मीडिया प्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा, एन के शर्मा,दीपेंद्र नाथ गुप्ता, सुख वासी लाल, अरुण सकसेना, राघवेंद्र मिश्रा, राजेंद्र सिंह राघव, डॉक्टर धर्मवीर सिंह, वेदराम मौर्य ने विचार व्यक्त किए। विनीत कुमार दुबे, सौरभ, दलवीर सिंह, शुचि मोहन, शेर सिंह यादव, शानू, एवरन सिंह, नितिन कुमार, धरमपाल, आदि मौजूद रहे।
संन्युक्त रूप से सभी ने एक स्वर में क्रांतिकारी डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भारत सरकार द्वारा ” भारत रत्न” पुरुस्कार प्रदान करने की मांग की।