हाथरस में 123 मौतों पर नेताओं के ‘घड़ियाली आंसू’, भोले बाबा की गिरफ्तारी की मांग से डर क्यों?
हाथरस भगदड़ के पीड़ितों से मिलने पहुंचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केवल खानापूर्ति ही की है,। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं ने तो हाथरस पहुंचने की जहमत भी नहीं उठाई । क्या कारण है कि सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक सभी सूरजपाल जाटव उर्फ भोले बाबा को बचाने में लगे हुए है।
देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब एक बाबा के पक्ष में सरकार से लेकर विपक्ष तक ढाल बनकर खड़ा है। गुरमीत राम रहीम बाबा रहे हों या बाबा रामपाल, इन पर भी कार्रवाई हुई। संत आसाराम और उनके बेटे को भी जेल जाना पड़ा, और सबसे बड़ी बात इन सब पर कार्रवाई बीजेपी के ही शासन काल में हुई। पर सूरजपाल जाटव उर्फ भोले बाबा कैसे और क्यों सत्ता और विपक्ष दोनों पर भारी पड़ रहा हैं। भोले बाबा पर भी यौन शोषण सहित कुल 6 मामले पहले से दर्ज हैं। पुलिस को एक्शन लेने के लिए इतना काफी है। पर अब तक 123 लोगों की मौत होने के बावजूद उत्तर प्रदेश की सरकार हो या विपक्ष के नेता सभी के लिए बाबा निर्दोष हैं। सभी इस घटना को लेकर खानापूर्ति ही चाहते हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी बस यही चाहते हैं कि पीड़ित लोगों का इलाज हो जाए और उन्हें मुआवजा मिल जाए। जाहिर है कि विपक्ष कोई आवाज नहीं उठा रहा है इसलिए सरकार की भी मौज है। उत्तर प्रदेश सरकार ने एफआईआर में भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल जाटव का नाम शामिल ही नहीं किया। विपक्ष भी जानबूझकर इस बात को नजरअंदाज ही कर रहा है
नेताओं का यही तर्क है कि हादसा था इसलिए बाबा का कोई दोष नहीं है। इस आधार पर तो उपहार सिनेमा अग्निकांड में उनके मालिकों का भी दोष नहीं था,क्योंकि आग लगना भी एक हादसा ही था। फिर मालिक को क्यों गिरफ्तार किया। इस तर्क के आधार पर तो अंसल बंधुओं ने अपनी जिंदगी के कई साल बेकार ही जेल में गंवा दिए।
हाथरस हादसे पर बड़ा सवाल… बाबा का नाम लेने से क्यों डर रहे नेता ?
नारायण साकार उर्फ भोले बाबा
एफआईआर में नाम नहीं, पिछड़ी बिरादरियों में प्रभाव… जानें- क्यों आसान नहीं है भोले बाबा के खिलाफ एक्शन ?
क्या भोले बाबा को पता नहीं था कि इतनी भीड़ इकट्ठा होगी चलिए मान लेते हैं कि बाबा इतनी भीड़ का अंदाजा नहीं लगा सके? पर क्या 80 हजार लोगों की भीड़ के लिए बाबा ने अनुमति ली थी। पर इतने लोगों की भी व्यवस्था नहीं की गई थी। इस भीषण गर्मी में अगर 80 हजार लोग भी इकट्ठा होते हैं तो उसके लिए 5 एंबुलेंस और 5 डॉक्टरों की व्यवस्था तो करनी ही चाहिए थी। पिछले साल ही बाबा बागेश्वर के दरबार में पहुंचे तमाम भक्तों को गर्मी से बेहोश होते हुए देखा गया था। इसके बावजूद लापरवाही बरती गई, पांडाल में कहीं भी एसी और कूलर नहीं दिखाई दे रहे हैं। आयोजकों की ओर से पर्याप्त पुलिस की व्यवस्था नहीं की गई। प्रशासन अगर पर्याप्त पुलिस भेजने से इनकार करता है तो ऐसे निजी समारोहों के लिए पुलिस को लीगल तरीके से भुगतान करके भी फोर्स बुलाने की व्यवस्था है।
सीएम योगी ने कहा, कुछ लोगों की आदत होती है कि वह दुखद और दर्दनाक घटनाओं में राजनीति ढूंढते हैं। ऐसे लोगों की फितरत होती है…चोरी भी और सीनाजोरी भी, हर व्यक्ति जानता है कि सज्जन की फोटो किनके साथ में हे उनके राजनीतिक संबंध किनके साथ जुड़े हुए हैं। राजनीतिक लोगों की मानें तो यहां सीएम योगी अपरोक्ष रूप से सपा चीफ अखिलेश यादव का नाम ले रहे हैं। मालूम हो कि साल 2023 में अखिलेश ने अपने ट्वीटर हैंडल पर भोले बाबा के दरबार में अपने पहुंचने की तस्वीरें शेयर की थीं । मैनपुरी में ही एसपी सिटी आधी रात को एसओजी के साथ आधे घंटे तक आश्रम में पहुंचते हैं। मैनपुरी के ही आश्रम में खुद को सूरज पाल का वकील बता रहे शख्स भी मिलने पहुंच जाते हैं, लेकिन न तो पुलिस सूरज पाल को लेकर किसी तरह की कार्रवाई करती है औऱ न ही सूरज पाल के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सियासत किसी तरह के सवाल खड़े करती है।
उत्तर प्रदेश में सबसे बड़े विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेता अभी तक हाथरस नहीं पहुंचे हैं। जबकि पीड़ितों में अधिकतर इन दोनों ही पार्टियों के कोर वोटर्स हैं। यही नहीं विपक्ष के नेताओं के ऐसे बयान आ रहे जिससे जाहिर होता है कि बाबा को क्लीनचिट दी जा रही हो। समाजवादी पार्टी के नेता प्रो रामगोपाल यादव ने कहा कि हादसे तो होते रहते हैं, एक्सीडेंट सब जगह होता रहता है। सरकार को ऐसे कार्यक्रम के लिए सख्त नियम बनाने चाहिए ।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी योगी सरकार पर ही ठीकरा फोड़ते हुए कहते हैं कि ये सारी ज़िम्मेदारी प्रशासन की बनती है। उन्होंने इतने लोगों को रोका क्यों नहीं और अगर इतने लोग आ रहे थे तो इंतजाम क्यों नहीं किए गए। सरकार की वजह से जानें गई है। सरकार की वजह से एंबुलेंस नहीं मिली, ऑक्सीजन नहीं मिल पाई, पर बाबा की गिरफ्तारी के बारे में पूछने पर अखिलेश यादव तंज कसते हैं। कौन से बाबा की बात कर रहे हैं, यूपी में 2 बाबा हैं। उनका इशारा दूसरे बाबा के रूप में योगी आदित्यनाथ के रूप में है। हालांकि सार्वजनिक रूप से अखिलेश यादव पिछले साल इटावा में बाबा के सत्संग में शामिल हुए थे। तब उन्होंने नारायण हरि साकार को बड़ा संत बताया था। यही हाल बीएसपी सुप्रमो मायावती और दलितों के उभरते नेता चंद्रशेखर भी बाबा के मामले में एक जैसा स्टैंड रखते हैं। राजनैतिक पार्टियां मुआवजे की राजनीति से आगे बढ़ने की मूड में नहीं हैं।
वही राहुल गांधी ने कहा कि , प्रशासन की कमी तो है और गलतियां हुई हैं। राहुल गांधी ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से निवदेन किया कि पीड़ितों को मुआवजा सही मिलना चाहिए।लेकिन राहुल गांधी के मुंह से नारायण हरि सरकार उर्फ भोले बाबा के खिलाफ एक शब्द नहीं निकला। उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? यूपी सरकार उन्हें क्यों बचा रही है? कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन सब मुद्दों पर एक शब्द भी नहीं बोले
क्या दलितों और पिछड़ों के वोट खिसकने का डर है?
सूरज पाल के अनुयायियों में ज्यादातर दलित, पिछड़े, महिलाएं और गरीब तबके के लोग हैं। ये उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली हर जगह बड़ी तादाद में मौजूद हैं। और इस वोट बैंक पर सूरज पाल का प्रभाव होने का अंदेशा हर दल को है, क्योंकि सूरज पाल के बड़े प्रवचनों सत्संगों में ढाई-तीन लाख तक की भीड़ जुट जाती है। इसीलिए कोई भी दल या नेता सूरज पाल के खिलाफ खुलकर कार्रवाई की बात नहीं कर पा रहा। कासगंज जिले के रहने वाले बाबा दलित जाटव बिरादरी के हैं। यूपी में इस जाति के 11 प्रतिशत वोटर हैं। पश्चिमी यूपी के नौ जिले के लाखों लोग उनके समर्थक हैं। उनके सत्संग में जाते रहते हैं। हर महीने के पहले मंगलवार को किसी न किसी जगह पर उनका सत्संग होता है। जिसमें हजारों लोग आते हैं। बाबा का किसी भी राजनैतिक दल से कोई खास संबंध नहीं रहा है।