रामनाथ राम नारायण मैमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट उझानी द्वारा संचालित शिखर इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी एंड नर्सिंग, बदायूँ द्वारा संस्थान में अध्ययनरत् ए0एन0एम0 की छात्राओं को उनके पाठ्यक्रम के अन्तर्गत बरेली स्थित पराग डेयरी का भ्रमण कराया गया।
पराग डेयरी के स्टाफ द्वारा छात्राओं को बताया कि कैसे गांव में किसानों से दूध इकट्ठा करने के बाद टैंकर या कैन/डिब्बों के माध्यम से कारखाने में लाया जाता है और डाक लैब में परीक्षण किया जाता है गुणवत्ता सम्मत पाए जाने पर आगे की प्रोसेसिंग की जाती है। प्रोसेसिंग के दौरान दूध को 80 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर पाश्चराइज किया जाता है पाश्चराइजेशन दो दिनों के लिए प्राकृतिक तरीके से दूध को संग्रहीत करने की सबसे अच्छी तकनीक है। इससे वसा और एसएनएफ में भिन्नता हो सकती है पैकेजिंग यूनिट – पॉलीपैक – एचएसएमटी से दूध पीले रंग की रोशनी में बदल जाता है हरा रंग यह इंगित करता है कि दूध प्राप्त हुआ है इसके बाद हम पॉलीपैक शुरू करते हैं। सब कुछ सिस्टम संचालित है, इसके बाद होमोजेनाइजेशन और क्रीम निकालने का काम किया जाता है। छात्राओं को कैनवाॅशर तथा क्रेट वॉशर भी दिखाए गए जिसमें कैन तथा क्रेट को तीन स्टेप्स में वॅाश करके कन्वेयर बेल्ट की मदद से लोडिंग तथा अनलोडिंग की जाती है ।
अंत में विभिन्न प्रकार के दुग्ध उत्पादों व दूध की कैटेगरी के अनुसार अंतिम उत्पाद बनाकर पैकिंग की जाती है। पैकिंग से पहले भी उत्पाद की गुणवत्ता का परीक्षण किया जाता है गुणवत्ता परीक्षण में उत्पाद निर्धारित मानक के अनुसार होने पर ही उत्पाद की पैकिंग की जाती है। प्रशीतन अनुभाग, एयर कंप्रेसर अनुभाग, बॉयलर हाउस , रखरखाव अनुभाग, पृथक्करण विभाग, दूध प्रक्रिया विभाग, गुणवत्ता आश्वासन और निरीक्षण विभाग, पैकेजिंग विभाग, घी और खोहा अनुभाग, राइसेन और आरसीएम अनुभाग, कैन एमसीसी अनुभाग, डिस्पैच अनुभाग, भंडारण अनुभाग, खीर और पनीर अनुभाग, और कई अन्य शामिल हैं।
जिसमें डबल टोंड, टोंड, फुल क्रीम, मीठा दूध, छाछ (नमकीन), मठ्ठा, दही, खीर, पनीर आदि शामिल हैं। पैकिंग के बाद उत्पाद विपणन विभाग को विपणन के लिए सौंप दिया जाता है।
उक्त भ्रमण पर छात्राओं के साथ संस्थान की अध्यापिका इल्मा खान तथा मैनेजर दयाराम राजपूत एवं भ्रमण संचालक जितेन्द्र यादव उपस्थित रहे। शिखर इंस्टीट्यूट ऑफ़ फार्मेसी एंड नर्सिंग के अध्यक्ष डॉक्टर राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि इस प्रकार के भ्रमण के माध्यम से छात्र-छात्राओं को विभिन्न प्रकार के उत्पादों का कैसे उत्पादन होता है तथा डिस्पैच किया जाता है इस प्रक्रिया को समझने का मौका मिलता है। डॉक्टर आर के वर्मा ने कहा कि शिखर इंस्टीट्यूट छात्र-छात्राओं को उत्तम शिक्षण-प्रशिक्षण देने के लिए कटिबद्ध है और इस उद्देश्य के लिए विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं