श्रीमदभागवत पुस्तक नहीं, साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है
बिल्सी। क्षेत्र के गांव बड़नौमी में ग्राम देवी मंदिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा के दूसरे कथावाचक आचार्य सोमदत्त महाराज ने सुखदेव जी के जन्म की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि कलयुग में भागवत महापुराण कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है। कथा अर्थ, धर्म, काम के साथ-साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान कर जीव को परम पद प्राप्त कराती है। श्रीमदभागवत पुस्तक नहीं साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है। इसके एक-एक अक्षर में भगवान समाए हुए हैं। इस कथा को सुनना दान, व्रत, तीर्थ से भी बढ़कर है। धुंधकारी जैसे महापापी, प्रेतात्मा का उद्धार हो जाता है। मनुष्य से गलती होना बड़ी बात नहीं लेकिन गलती को समय रहते सुधार करना जरूरी है। ऐसा नहीं किया तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है। भागवत के श्रोता के अंदर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए। परमात्मा दिखाई नहीं देता पर हर किसी में बसता है। हमारे पूर्वजों ने सदैव ही पृथ्वी का पूजन और रक्षा की। इसके बदले पृथ्वी ने मानव का रक्षण किया। इस मौके पर गांव के तमाम लोग मौजूद रहे।