एक समय वह था जब शहर में सीबीएसई बोर्ड के मदर एथीना स्कूल और महार्षि विद्या मंदिर केवल दो स्कूल थे। उस समय साउथ इंडिया की रहने वाली शोभा फ्रासिस मदर एथीना स्कूल में प्रिन्सिपल बन कर आई और अपनी कार्यप्रणाली से मदर एथीना स्कूल को ऐसी पहचान दिलाई जो मदर एथीना स्कूल बदायूं के अंग्रेजी स्कूलों के साथ अंग्रेजी स्कूलों में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने वालों के दिल पर छा गया। लगभग चार वर्ष वह मदर एथीना स्कूल में रहीं फिर चार वर्ष बाद वह बदायूं से आगरा चली गई और वहां अपनी कार्यप्रणाली से अपनी प्रथक पहचान बनाई। बदायूं के अंग्रेजी स्कूलों में उनकी दूसरी पारी उझानी के एपीएस इंटरनेशनल स्कूल से हुई जिसके उपरांत कोरोना काल में वह देहरादून चली गई। देहरादून से फिर वापसी करके श्रीमती फ्रासिंस ब्लूमिग्डेल स्कूल की प्रिसिपल बनकर सबके सामने रहीं और लगभग दो वर्ष ब्लूमिंग्डेल की प्रिसिपल रहने के उपरांत उन्होंने शहर के मिशन इंगिलिश स्कूल को अपना प्लेटफार्म बनाया। शोभा फ्रांसिस आज मिशन इंगलिश स्कूल की शिक्षा को नये आयाम की ओर ले जाने के काम पर लगी हुई है। उनकी कार्यप्रणाली इंगलिश स्कूल के बच्चों को कोंचिग व्यवस्था को समाप्त करने की राह पर शोभा फ्रासिंस का नया कदम कितना कारगर होगा यह तो आने वाला समय बतायेगा लेकिन बदायूं में जब जब अंग्रेजी शिक्षा देने वाले स्कूलों की बात होगी तब तब शोभा फ्रासिंस लोगों के दिल पर राज करतीं रहेगीं।