3:23 pm Friday , 31 January 2025
BREAKING NEWS

निर्जला एकादशी 18 जून को ही ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा

निर्जला एकादशी पर्व 2024

सभी सनातनीय पाठकों धर्मावलंबियों को धर्म प्रेमियों को सादर प्रणाम।
अवगत कराना चाहूंगा दिनांक 18 जून 2024 दिन मंगलवार को निर्जला एकादशी का उपवास रखा जाएगा।
जेष्ठ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी होती है। निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु की शेष शय्या रूप की पूजा का विधान है। जैसे कि नाम से ही विदित है निर्जला एकादशी पर निर्जल एवं निराहार उपवास का विधान है। धार्मिक मान्यतानुसार एकमात्र निर्जला एकादशी का उपवास रख लेने से ही समस्त एकादशीयों के उपवास का फल प्राप्त हो जाता है।
मूहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ 17 जून 2024 प्रातः 4:45 से 18 जून 2024 प्रातः 6:26 तक।
उपवास पारण का समय रहेगा 19 जून प्रातः 5:24 से 7:28 तक।
पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में जाग कर नित्य कर्म से निवृत्त हो संपूर्ण घर को स्वच्छ करें पूजा स्थल को स्वच्छ करें। स्नानादि के उपरांत निर्जला उपवास का संकल्प लें। सूर्य को जल अर्पित करें। पूजा स्थल पर अखंड ज्योत प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु को पंचगव्य एवं शुद्ध जल से स्नान के उपरांत आसन प्रदान करें पीतांबर अर्पित करें। रोली, कुमकुम, धूप, पंचामृत, पीले पुष्प, तुलसी, पंचमेवा, पंच मिठाई, पान सुपारी अर्पित करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। श्री हरि विष्णु को मखाने से बनी हुई खीर में चुटकी भर हल्दी डालकर भोग अर्पित करें। ग्यारह घी की बत्ती से भगवान विष्णु की आरती करें।
एकादशी के उपवास के उपरांत दान का विशेष महत्व है एकादशी को अपनी इच्छानुसार अन्न, वस्त्र, छतरी, पंखा, जल से भरा हुआ कुंभ (घड़ा) दक्षिणा किसी जरूरतमंद व्यक्ति या आचार्य जी को भेंट स्वरूप प्रदान करें। इसके अतिरिक्त लोगों को जल पिलाकर भी पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
निर्जला एकादशी की कथा
शास्त्रों के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी कहा जाता है धार्मिक कथाओं के अनुसार, भीम, पांडव भ्राताओं में सबसे बलशाली माने जाते थे। उन्हें भूख बर्दाश्त नहीं थी इस कारण उनके लिए किसी भी व्रत को रखना संभव नहीं था।
लोगों के बहुत समझाने पर उन्होंने एकमात्र निर्जला एकादशी का व्रत किया। भूख बर्दाश्त ना होने पर शाम होते ही वो मूर्छित हो गए। चूंकि भीमसेन के साथ इस एकादशी का संबंध है इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं शास्त्रों के अनुसार, इस दिन बिना जल के उपवास रखने से साल की सारी एकादशियों का पुण्य फल मिलता है।निर्जला एकादशी का उपवास रखने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस दिन उपवास करने से अच्छी सेहत और सुखद जीवन का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन उपवास रखने से सभी पापों का नाश होता है और मन शुद्ध होता है। इस एकादशी को त्याग और तपस्या की सबसे बड़ी एकादशी माना जाता है।
निर्जला एकादशी पर निर्जल उपवास रखने का विधान है, परंतु यदि आप स्वस्थ नहीं हैं तो नींबू पानी और फल ग्रहण करके भी व्रत रख सकते हैं।
इस व्रत में अन्न ग्रहण ना करके फलाहार भोजन ग्रहण कर सकते हैं। इस दौरान पौधों में पानी डालना और जल का दान करना शुभ माना जाता है।
रात्रि में जागरण करके भगवान विष्णु की उपासना करें।

ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा