बदायूं 16 जून। नीट पर बवाल पहली बार नहीं है, साल दर साल देश की बड़ी परीक्षाओं में गड़बड़ी और पेपर लीक के आरोप लगते रहे हैं। पूरे देश के छात्रों में आक्रोश है,आंदोलन कर रहे हैं, मगर सरकार एनटीए के सामने असहाय नजर आती है। एनटीए ने विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता वाले विशेषज्ञों की एक टीम बनाई है। लेकिन इस बात को भी झुठलाया नहीं जा सकता कि परीक्षाओं में अनियमितताओं को लेकर एनटीए पर कई बार सवाल उठ चुके हैं।
जो वक्त छात्रों को अपना कैरियर संवारने की तैयारी में लगाना चाहिए वो उस समय परीक्षा में अनियमितताओं को शिकार हो रहे हैं, छात्रों और पेरेंट्स की परेशानियों का अंदाजा भी लगा पाना मुश्किल है। सवाल लगभग 24 लाख स्टूडेंट्स का है। जिनमें से बड़ी संख्या उन स्टूडेंट्स की है जो आने वाले समय में देश के बड़े हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज करेंगे। अगर नीट पेपर लीक या गड़बड़ी की वजह से अयोग्य स्टूडेंट्स डॉक्टर बन जाते हैं तो उसका क्या-क्या और कितने बड़े पैमाने पर नुकसान होगा? पहली बार अंडरग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम यानी नीट की परीक्षा में 67 टॉपर्स घोषित करके नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने अपनी साख पर सवाल खड़े कर लिए हैं. हालांकि यह पहली बार नहीं है। भले ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है एक आतंक वादी को कोर्ट रात में खुल सकती है, 24 लाख छात्रों के भविष्य के लिए वही तारीख पर तारीख।
संपादकीय -सुशील धींगडा।
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