आज बाल श्रम दिवस पर विशेष।**************** उझानी बदायूं 12 जून 2024
जिन कोमल हाथों में कलम व किताबें होनी चाहिए। वह बचपन काम के बोझ से घुटकर दम तोड़ रहा है। यह बातें पढ़ने व सुनने में कड़वी अवश्य लग रही है, लेकिन सच यही है। पारिवारिक परिस्थितियों ने कम उम्र में ही बढ़ी जिम्मेदारी उनके कमजाेर कंधों पर डाल रखी है।
चाय का होटल हो या फिर ढाबा। पंचर की दुकान हो या फिर कबाड़ की। प्रत्येक स्थानों पर बालश्रम कानून की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कम पैसों में इनकी उपलब्धता हो जाने से इनके बचपन का जमकर दोहन होता है। बच्चों से श्रम कराने के खिलाफ कार्रवाई के लिए बाल श्रम कानून बना हुआ है, लेकिन इस कानून का भी लोगों में बिलकुल डर नहीं है। इसकी गवाही खुद विभागीय आंकड़े दे रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023-24 में 50 बच्चों को श्रम विभाग मुक्त करा चुका है। इस वित्तीय वर्ष में भी अब तक 8 या दस बच्चों को मुक्त कराया गया है। 5 लोगों के खिलाफ अभियोग भी पंजीकृत कराया है। श्रम विभाग की उदासीनता के चलते भी बाल श्रम नहीं रुक पा रहा। आज भी काफी संख्या में बच्चे काम करते देखे जा सकते हैं। चाय की दुकान पर काम करने वाले राजू ने बताया कि उसके पिता मजदूरी करते हैं। जिससे परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पाता। परिवार का सहयोग करने के लिए वह काम करता है। ढाबे पर काम करने वाले छोटू ने बताया कि पढ़ाई करने का उसका मन होता है, लेकिन पारिवारिक परिस्थतियां इसकी इजाजत नहीं देतीं।*************/ बालश्रम दिवस आने की आहट से श्रम विभाग ने बजीरगंज व बिसौली में एक दिन घूमकर दो तीन बच्चों को मुक्त कराया। वही दो लोगों पर श्रम कानून के तहत मुकदमा पंजीकृत करा कर इतिश्री करली, पूरे बर्ष चादर तान कर सो जाएंगे, बचपन घुटे या पिसे उन्हें कोई सरोकार नहीं।राजेश वार्ष्णेय एमके