****** बदायूं 9 जून 2024।
3.0 केविनेट नरेंद्र मोदी अपने मंत्रिपरिषद के साथ रविवार को शपथ ग्रहण करेंगे। मंत्रिपरिषद के साथ आपने मंत्रिमंडल शब्द का उपयोग भी कई मौकों पर देखा एवं सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मंत्रीमंडल और मंत्रिपरिषद में अंतर क्या होता है।
मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल के बीच क्या होता है फर्क
राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रिपरिषद का गठन करते हैं।
देश को एक बार फिर नई सरकार मिलने जा रही है। नरेंद्र मोदी 9 जून को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में तीसरी बार शपथ लेंगे। इस दौरान उनके साथ उनके मंत्रिपरिषद के सदस्य भी शपथ लेंगे।
भारतीय संविधान के अनुसार राष्ट्रपति को उनके कार्यों में सहायता करने और सलाह देने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्री परिषद का गठन किया जाता है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इसके बाद वह प्रधानमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करते हैं।
मंत्रिपरिषद
मंत्रिपरिषद में मंत्रियों को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है, जिसमें मंत्रिमंडल (कैबिनेट मंत्री), राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), राज्य मंत्री और उप मंत्री शामिल होते हैं। ऐसे में मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद के बीच सबसे बुनियादी फर्क यही होता है कि मंत्रियों के संपूर्ण समूह को मंत्रिपरिषद कहा जाता है । जबकि मंत्रिमंडल या कैबिनेट मंत्री इसका हिस्सा होते हैं।
कैबिनेट मंत्री
आसान शब्दों में मंत्रिपरिषद उस निकाय का नाम है, जिसमें सारे मंत्री होते हैं। इसमें कैबिनेट मंत्रिपरिषद का शीर्ष समूह होता है। आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को कैबिनेट मंत्री बनाया जाता है और उन्हें वित्त, रक्षा, गृह, रेल जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का प्रभार दिया जाता है।
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चूंकि सभी मंत्रियों के लिए मिलकर हर मुद्दे पर चर्चा करना व्यावहारिक नहीं है, ऐसे में कैबिनेट मंत्री ही नियमित रूप से बैठक करते हैं और नीतिगत फैसले लेते हैं। कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसले मंत्रिपरिषद के अन्य समूहों के लिए भी बाध्य होते हैं।