।***///////* बदायूं 8 जून2024। किसान अगर धान की पैदावार बढाना चाहते हैं तो मानसूनी बारिश के समय रोपें पोंधे तो बंपर उपज मिलेगी।
कृषि विज्ञान केंद्र ने खरीफ सीजन में धान बुवाई के लिए किसानों को दी सलाह में कहा कि धान की अच्छी उपज के लिए समतल क्षेत्रों और एक समान मौसम बेहतर होता है. यहां कुछ विधियां और बिंदु बताए गएं हैं।
धान की खेती के लिए मटियार और दोमट मिट्टी सबसे मुफीद मानी जाती है
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार इस बार अच्छे मॉनसून के संकेत हैं। 30 मई को भारत के केरल में मॉनसून ने एंट्री कर दी है और अब धीरे-धीरे बाकी राज्यों की ओर बढ़ रहा है. मॉनसून के साथ ही खरीफ सीजन के लिए धान की बुवाई की तैयारी किसानों ने शुरू कर दी है। धान की बंपर पैदावार के लिए बुवाई के समय किसानों को कुछ बिंदुओं और विधियों पर खास ध्यान देना होगा, कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों के लिए खेत की जुताई, बीज उपचार, सिंचाई और उर्वरक के लिए सही विधियों के इस्तेमाल पर सलाह जारी की है। इन विधियों के तहत बुवाई करने पर किसानों को बंपर उपज का लाभ मिलेगा।
कृषि विज्ञान केंद्र नके बैज्ञानिकों ने खरीफ सीजन में धान बुवाई के लिए किसानों को दी सलाह में कहा कि धान की अच्छी उपज के लिए ज्यादा उतार-चढ़ाव वाली जलवायु नहीं होनी चाहिए. इसीलिए समतल क्षेत्रों और एक समान मौसम वाले इलाकों में धान की बंपर उपज देखी जाती है. धान के पौधों को औसतन 20 डिग्री सेंटीग्रेट से 37 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की जरूरत होती है. जबकि, धान की खेती के लिए मटियार और दोमट मिट्टी सबसे मुफीद मानी जाती है.
धान बुवाई के लिए खेत की पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल से और इसके बाद भी 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करनी चाहिए.
धान की रोपाई से पहले खेत को पानी से भरकर जुताई करनी चाहिए और जुताई करते समय खेत को समतल बनाना जरूरी है.
जुताई के बाद खेत की मजबूत मेड़बंदी कर देनी चाहिए, ताकि बारिश का पानी अधिक समय तक खेत में रोका जा सके।
धान की एक हेक्टेयर रोपाई के लिए बीज की मात्रा 30 से 35 किलोग्राम बीज पौध तैयार करने के लिए सही रहता है.
किसान 25 किलोग्राम बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन तथा 75 ग्राम थीरम से बीज का उपचार करने के बाद बुवाई करें।
धान की अच्छी उपज के लिए खेत में अंतिम जुताई के समय 100 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद खेत मिलानी चाहिए. इसके अलावा उर्वरक में 120 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 60 किलो ग्राम फॉस्फोरस और 60 किलो ग्राम पोटाश का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. नाइट्रोजन की आधी मात्रा फॉस्फोरस और पोटाश की मात्रा खेत तैयार करते समय आधी मात्रा टापेड्रेसिंग के रूप में होनी चाहिए.
धान की फसल को सबसे अधिक पानी की जरूरत पड़ती है. फसल को विशेष समय पर पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। किसान ध्यान दें कि रोपाई के बाद एक सप्ताह तक कल्ले फूटने वाली, बाली निकलने और फूल निकलने के साथ ही दाना भरते समय खेत में पानी बहुत जरूरी रहता है।